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सोमवार, 21 दिसंबर 2009

ब्लॉग जोर अजमाइए रहके अपने ठौर

आज ब्लॉग जगत ने लोगों में छिपी प्रतिभाओं को उभारने का एक अच्छा  सुनहरा अवसर प्रदान किया है . अतएव कहने की बात नहीं है,हम इसके माध्यम से अपने विचार सहज व सुन्दर ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं. हलकी  फुलकी  मनोरंजक सामग्रियां भी इसमें रखी जा सकती हैं जिसमे हास्य का पुट हो. हमें यदि अपने ब्लॉग जगत में अपना परचम लहराना है तो हमें अपने ठौर को  (तात्पर्य अपने ब्लॉग को ही) अच्छे विचारों वाली सर्व मान्य रचनाओं  से, हंसी के फव्वारों से, और भी जैसा बन पड़े,  (ध्यान रहे कि किसी व्यक्ति विशेष  की भावनाओं को ठेस न पहुंचे) अपनी लेखनी द्वारा और भी सुसज्जित कर लहरा सकते हैं. साथ ही साथ अपने ब्लॉग मित्रों का टिपण्णी के माध्यम से हौसला आफजाई करते हुए. किसी की रचना पढ़कर रचनाकार को ठेस पहुचे ऐसी चीजें टिपण्णी में न लिखी  जाय.  आज  भाई ललित की  रचना "इस बीमारी की कोई दवा हो तो बताएं" के सम्बन्ध में एक टिपण्णी पढने को मिली "आपने  अपना इलाज कहाँ करवाया है" अब इसके बारे में जनता की राय अपेक्षित है.  मैंने तो अपनी राय ऊपर लिख ही दिया है.

3 टिप्‍पणियां:

36solutions ने कहा…

बहुत सुन्‍दर भईया. टेंशन लेने का नई.

टिप्‍पणीकर्ता महोदय नें ना ही वह पोस्‍ट पढा है ना ही पोस्‍ट का शीर्षक. ललित भाई का समूचा पोस्‍ट इस बिमारी की दवाई के लिए छटपटा रहा है और टिप्‍पणी करने वाले भाई साहब नें समझ लिया कि इलाज हो गया है और डाक्‍टर का पता भी पूछ लिया शायद उन्‍हें मर्ज का दर्द इतना साल रहा है कि पोस्‍ट पढा भी न जा रहा है.

संजय भास्‍कर ने कहा…

LAJWAAB LEKH SIR JI

संजय भास्‍कर ने कहा…

LAJWAAB LEKH SIR JI