tag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post5792172125220909337..comments2023-10-29T18:45:12.274+05:30Comments on उमड़त घुमड़त विचार: दाम्पत्य जीवन में दरार, ईश्वर ने कराया ये कैसा करारसूर्यकान्त गुप्ताhttp://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-37004166473529878222010-07-13T21:51:05.060+05:302010-07-13T21:51:05.060+05:30बहुत खूबसूरती से समझाया है ये जीवन दर्शनबहुत खूबसूरती से समझाया है ये जीवन दर्शनरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-53132342946310067582010-07-13T09:55:17.404+05:302010-07-13T09:55:17.404+05:30ताज्जुब होता है
आपकी अदालत में कराये
गए इस करार ...ताज्जुब होता है <br />आपकी अदालत में कराये <br />गए इस करार में फिर क्यों <br />पड़ जाती है दरार <br /><br />wah ji wah har haqiqattariin or talkh baat ko bhi khoob vyang roop diya hai aapne yakinan kabil-e-daad ...kubool karen <br /><br />aabhar aap blog tak aaye or shabdo ko sarahaनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-55766624098791777262010-07-13T05:07:44.979+05:302010-07-13T05:07:44.979+05:30कल-कल करके बहती रही ये कविता सरिता.. बेहतरीन..कल-कल करके बहती रही ये कविता सरिता.. बेहतरीन..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-13756282795964122502010-07-12T23:34:22.565+05:302010-07-12T23:34:22.565+05:30सूर्यकान्त जी आपके सरलता मै लिखे भाव किसी की भी आं...सूर्यकान्त जी आपके सरलता मै लिखे भाव किसी की भी आंखे खोलने मै सक्ष्म होते हैं क्योंकि आप जो भी लिखते हैं सत्य हृदय से लिखते हैं ! बहुत ही अच्छे से लिखा हे आपने ....मुबारकबाद ! <br /><br />पति-पत्नी का इकरार ,<br />देवता बनते हैं साक्षी ,<br />दोनों बनते हैं <br />इकरार के पालनहार ,<br />दोनों देते हैं वचन <br />अपनी वफादारी की ,<br />भगवान ना करे ...<br />आ जाये कोंई बीमारी ..<br />शक की महामारी <br />तब होता हे <br />बर्बादी का आगाज <br />किस्मत की तबाही <br />कोंई नहीं कर पाता तब <br />इस इकरार की भरपाई ,<br />ये ही करती हे ....<br />सीता की जुदाई !!!!!!!P A R D E E Phttps://www.blogger.com/profile/17817275055393819635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-14332294549827615372010-07-12T18:41:32.506+05:302010-07-12T18:41:32.506+05:30"थी अत्यंत अतृप्त वासना दीर्घ दृगों से झलक रह..."थी अत्यंत अतृप्त वासना दीर्घ दृगों से झलक रही"<br /><br />ज्योतिष बाबा कहते हैं जब कुंडली में बुध ग्रह प्रभावशाली हो जाता है। वह आदमी के मन को भटकाता है।<br />बुध से काम ले,भटकें नहीं,जीवन सार है।<br />लईका डौकी हलकान हे त जीवन बेकार है।<br /><br />मोर जय जोहार हे जय जोहार हेब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-48593215044509155152010-07-12T12:27:26.845+05:302010-07-12T12:27:26.845+05:30गुप्ता जी
आज तो आपने काफी महत्वपूर्ण लिख डाला है
ए...गुप्ता जी<br />आज तो आपने काफी महत्वपूर्ण लिख डाला है<br />एक-एक लाइन काम की है.<br />आपको बधाईराजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-58247503394676580602010-07-12T10:41:16.400+05:302010-07-12T10:41:16.400+05:30शायद इस जटिलता के बारे मे ईश्वर ने सोचा ही नही था।...शायद इस जटिलता के बारे मे ईश्वर ने सोचा ही नही था। उसने तो दोनो को सात जन निभाने के लिये कुछ परिधियां बां ध दी मगर नदी जल से बाहर जब छलांग लगाती है तो पानी बिखरना तय है। दोनो ही संतुलन नही रख पाये। बहुइत अच्छी लगी कविता। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-52417748008185874392010-07-12T10:28:45.981+05:302010-07-12T10:28:45.981+05:30बहुत गहराई से सोचे हुए विचार...सभी बहुत पसंद आये.....बहुत गहराई से सोचे हुए विचार...सभी बहुत पसंद आये...दूसरा वाला विशेष पसंद आयासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-80160510040905679552010-07-12T06:06:57.776+05:302010-07-12T06:06:57.776+05:30भावपूर्ण लेखन।भावपूर्ण लेखन।आचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-18790401267370314682010-07-12T05:39:33.781+05:302010-07-12T05:39:33.781+05:30ईश्वर करार करा देता है..सहेजना और तोड़ना तो इंसान ...ईश्वर करार करा देता है..सहेजना और तोड़ना तो इंसान करता है.<br /><br />बहुत अच्छी सोचने योग्य रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5032783058649992347.post-65221425923769548832010-07-12T02:32:36.630+05:302010-07-12T02:32:36.630+05:30बहुत बढ़िया .........बड़ी सहजता से आपने जीवन की जट...बहुत बढ़िया .........बड़ी सहजता से आपने जीवन की जटिलता को है समझाया !<br />जय जोहार !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com