सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

उसकी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद क्यों?


 मन में पीड़ा कब होती है? मैंने देखा है व अनुभव किया है कि प्रायः  व्यक्ति अपने आप को दुखी तब पता है जब वह अपनी तुलना दूसरों से करता है यदि वह दूसरों को खुश रख अपने आप में  ज्यादा ख़ुशी महशूस करे तो हो सकता है उसे दर्द का अनुभव ही न हो. पर क्या किया जाय हम सब इसी में उलझे रहते हैं और कहते हैं "उसकी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद क्यों?" 

5 टिप्‍पणियां:

  1. गुप्ता जी गनीमत है उसकी कमीज मेरी से सफ़ेद क्यों तक़ ही सीमित है,उसके आगे आक थू नही शुरू हुआ है।


    सुमन जी से साभार,
    nice.

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  2. ललित शर्मा का कॉपी पेस्ट:

    nice

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  3. मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को नमस्कार बड़े हर्ष का िषय है मेरे लिए, आदरणीय अनिल भाई साहब (पुसदकर) जी भी इस ब्लॉग में शामिल हुए.उनका आभार प्रकट करना चाहूँगा और साथ ही उनकी एवं सभी ब्लॉगर मित्रों को उनकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया

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