सोमवार, 1 मार्च 2010

हर हाल जिया जाता है (जीना पड़ता है)

 देश का आय व्यय का ब्यौरा याने बजट
कैसे पेश हो सदन में, इन्तेजार रहता है
दूर-दर्शन के हर चेनल को, छपने के लिए
तैयार रहता है हर गजट (अखबार)
न्यूज़ चेनल पर बजट की योजनाओं पर,
टेक्स बढ़ने से बढती मंहगाई पर
चार दिन खूब चलता है चर्चाओं का दौर और होती है  समीक्षा 
कुछ दिन, अरे कुछ दिन क्या कुछ घंटों बाद 
सत्यनारायण की कथा  हो जैसे, कथा समाप्त 
कौन  कहाँ से ले लेते हैं दीक्षा
आटोमेटिक सब कुछ बंद हो जाता है 
जनता बेचारी क्या करे, उससे तो परिस्थितियों को
हर हाल जिया जाता है, हर हाल जिया जाता है. 

कहाँ कहाँ त्यौहार के मौके पर 
मुझे ये सब लिखने को सूझा 
जाने दीजिये अभी मनाएं होली 
और प्रभु से कहें वो सबकी भर दे झोली 
होली की शुभ कामनाओं सहित 
जय जोहार

4 टिप्‍पणियां:

  1. कभु काखरो खाली ना जाए बोली
    जौन मांगे तेखर भर जाय झोली,
    टिप्पणी टिप्प्णी हो जाए ब्लाग भर
    बने कसके करिया पोतो आय होली

    जय हो

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  2. ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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  3. होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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