शनिवार, 1 मई 2010

क्या ली अपने मन की तलाशी है

"नीयत आपकी साफ़ हो तो खुशियाँ आपकी दासी है 
कर्म आपका सही है तो घर में ही मथुरा काशी  है" 
उपरोक्त पंक्तियाँ मैंने लिखी नहीं है, कार्यालय जाते  वक्त एक ट्रक के पीछे लिखी  मिली . भले ही "स" और "श" का फर्क है तुकबंदी में. पर बात पते की है. वैसे जानते सभी हैं. कोई नई चीज नहीं है. दो टूक बात इस बारे में मेरे दिमाग में आयी कि इन दो पंक्तियों में दो  पंक्तियां और जोड़ दी जावे  तो वर्तमान में जन मानस के लिए  कैसा रहेगा;
विद्वजनो के उपदेश में कैसे शब्दों की नक्काशी है 
प्रवचन सुन हम गद गद होते, 
क्या ली अपने मन की तलाशी है 
तात्पर्य, सभी जगह उपदेशात्मक पंक्तियाँ लिखी रहेंगी हम पढेंगे भी. जहाँ तक अमल में  लाने की बात है वही ढाक के तीन पांत 
जय जोहार.......... 

4 टिप्‍पणियां:

  1. गुढ तत्व का दर्शन कराए दिए दाउ जी

    बने लिखे हस

    महुं बने चेत लगा के पढे हंव्।

    अब कु्छु दवई पानी लागही।

    अड़बड़ दिन होगे।

    जोहार ले।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत आभार ज्ञानदर्शन के.

    जवाब देंहटाएं