मध्य प्रदेश की राजधानी, शहर है वह भोपाल
अदालती कार्रवाई में लग गए पचीस साल
इतनी लम्बी अवधि में बिसर गया था लोगों का ख्याल
न्यालाय होता है सम्माननीय, कुछ न कहेंगे हम
अफ़सोस है इस बात का, फैसले ने कुरेदा है लोगों का गम
प्रकरण चाहे "अफजल" का हो चाहे हो इसमें "कसाब"
पारित करना होगा कानून ऐसा जिसमे थोड़ा हो "कसाव"
लोगों की प्रतिक्रिया: देखिये दैनिक भास्कर का मुख पृष्ठ
"15 हजार मौतें, सजा दो साल";
"पुलिस के कड़े बंदोबस्त के बीच हुए इस फैसले पर मानवाधिकार संगठनों तथा गैस पीड़ितों ने असंतोष जताया है. भोपाल ग्रुप ऑफ़ इन्फर्मेशन एंड एक्शन के कार्यकर्ता सतीनाथ षडंगी के मुताबिक, इस फैसले से पीड़ितों को लगता है की दुनिया की साबसे भीषण त्रासदी किसी सड़क दुर्घटना में बदल गयी है"
जय जोहार.......
...नो कमेंटस!!!!
जवाब देंहटाएंक्या कहा जा सकता है ??
जवाब देंहटाएंसतीनाथ षडंगी के मुताबिक, इस फैसले से पीड़ितों को लगता है की दुनिया की साबसे भीषण त्रासदी किसी सड़क दुर्घटना में बदल गयी है"
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ सही कहा है उन्होंने
न्याय के नाम पर भद्दा मजाक किया गया है !
जवाब देंहटाएंन्याय के नाम पर भद्दा मजाक .
जवाब देंहटाएंअब तो भगवान के अवतार की ही प्रतीक्षा है,जो न्याय कर सके......
जवाब देंहटाएं