शनिवार, 12 जून 2010

मानसून आने की इंतेजारी है


मानसून आने की  इंतेजारी है
भीषण गरमी का प्रकोप जारी है. 
जून महीने की तारीख हो गई बारह 
बारिश के अभी तक प्रवेश न कर पाने की 
क्या हो सकती है वजह 
निहारने  लगा आसमाँ को  
क्षण भर के लिए घने काले बादल,
कदाचित , किंचित  क्षेत्र में आच्छादित 
हो जाते हैं, मन को भाते हैं 
अपने संग ले आते हैं, ठंडी हवा के 
झोंके, बारिश के फुहार में भीगी
मिटटी की  सौंधी सौंधी महक 
पर यह क्या! क्यूं रूठ गए 
छोड़ हमें कहीं और चले 
समझ में आया,  गलती से हरे 
भरे घने जंगलों के बजाय 
काले धुंएँ के इलाके में घुस आये थे
जिसने तुझे अपना दुश्मन समझ भगा दिया
पशु पक्षी से लेकर जन-मानस तक बैठे थे प्यासे
सबको तूने रुला दिया. 
 जय जोहार...........

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