सोमवार, 7 जून 2010

ए का जिनिस ए = यह क्या चीज है

आनी बानी के बियन्जन अउ ओखर नाव। काला बचांव अउ काला खांव. एखरे ऊपर एक किस्सा के सुरता आगे. एक झन गवैंहा हा हलवाई  के दुकान माँ जाथे अउ कई परकार के चीज माढ़े रथे ओमा ले एक मा इशारा करके पूछथे जी. ए का जिनिस ए कहिके. हलवाई कथे "खाजा" . ओला कहानी समझ मा नई परे सोचथे कइसे गोठियाथे हलवाई हा? खा जा कहत हे. फेर पूछथे: ये का जिनिस ए ? फेर उही जवाब; "खाजा". ओ गवैंहा के भेजा मा नई घुसरै. दू तीन पईत दोहराथे. जवाब मा कोनो बदलाव नहीं. अब ओखर दिमाग चढ़ गे रथे. शुरू कर देथे खाए बर. हलवाई परेशान. कथे " अरे अरे ये क्या कर रहा है ?" जवाब पाथे काय करत हौं अतेक जुवार होगे पूछत मोला के ये का जिनिस आय तैं  कहत हस "खा जा" त खाथौं अउ काय. हलवाई अब काय बोलै.....
बियंजन = पकवान 
नाव = नाम
माढे रथे = रखा रहता है                                                  
काला खांव = किसको खाऊं
 काला  बचांव = किसको बचाऊं
सुरता = याद 
गवैंहा = देहाती 
सुरता आगे = याद आ गया 
परकार = प्रकार 
ओमा ले = उसमे से 
जिनिस = चीज 
पूछथे = पूछता है 
गोठियाथे = बताता है या कहता है 
उही = वही 
दू तीन पईत = दो तीन बार 
भेजा माँ नई घुसरै = समझ में नहीं आता या भेजे में नई घुसता.
दिमाग चढ़ जाथे = जोश में आ जाना आवेग में आ जाना या कहें दिमाग गरम हो जाना 
काय करत हौं = क्या कर रहा हूँ 
अतेक जुवार होगे = इतनी देर हो गयी. 
हलवाई अब काय बोलै = हलवाई अब क्या बोले 
मित्रों अब हमारी ये  मीठी बोली (गुरतुर गोठ) समझ में आ ही जावेगी.  
जय जोहार.......

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह आज तो बने लिखे हस गुप्ता जी

    अउ हिंदी अर्थ घला करे हस्।

    कौनो भाषा के प्रचार प्रसार बर

    येहां जरुरी होथे कि पाठक मरम ला समझे।

    जोहार ले

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  2. हाहो। अभिच्चे तनेजा जी के टिप्पणी मिलिस ओमा ओखर उत्तर मा तोर जिक्कर करे हौ अउ ओला बलाये घलो हौ अपन छत्तीसगढ मा आये बर

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  3. ललित भाई और गुप्ता जी यह बोली बेहद मीठी है कभी आपके साथ बैठना हुआ तो जरूर सिखा दीजियेगा !
    जैसा कि आप कहते है ................
    जय जोहार........

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  4. आपमन के स्‍वागत हे, जोहार ले भाई

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