"ॐ हं हनुमते नमः "
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री रामचरित मानस के पंचम सोपान "सुन्दरकाण्ड" के छंद क्रमांक २ की पहली पंक्ति "बन बाग़ उपबन बाटिका, सर कूप बापीं सोहही "दशानन" की लंका का दृश्य है. वीर हनुमान ने लंका प्रवेश करते समय पर्वत पर चढ़कर यह दृश्य देखा था. बन, बाग़, उपवन(बगीचे), फुलवारी, तालाब, कुएं और बावलियां सुशोभित हैं. तात्पर्य पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता व अनिवार्यता आज की ही आवश्यकता नहीं है.
jay johaar...............
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"बन बाग़ उपबन बाटिका, सर कूप बापीं सोहही "दशानन" की लंका का दृश्य है. वीर हनुमान ने लंका प्रवेश करते समय पर्वत पर चढ़कर यह दृश्य देखा था. बन, बाग़, उपवन(बगीचे), फुलवारी, तालाब, कुएं और बावलियां सुशोभित हैं. तात्पर्य पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता व अनिवार्यता आज की ही आवश्यकता नहीं है.
जवाब देंहटाएंBadhiya Suryakant ji
nice
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब |
जवाब देंहटाएंसही लिखा। बढिया पोस्ट।
जवाब देंहटाएं....जय श्रीराम !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , हां पापा जी का ध्यान रखना.
जवाब देंहटाएंउपयोगी और प्रेरक ।
जवाब देंहटाएंआईये जानें .... मन क्या है!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी