मंगलवार, 13 जुलाई 2010

"हरी थी मन भरी थी राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खड़ी थी"


"हरी थी मन भरी थी 
राजा जी के बाग़ में 
दुशाला ओढ़े खड़ी थी" 
पहेली बुझाते थे,  बुझाते हैं,  बुझाते रहेंगे 
बच्चों को रिझाते थे, रिझाते हैं,  रिझाते रहेंगे 
इस मुल्क के गरीब 
 आग में सेंक ये भुट्टे,  पेट की 
आग बुझाते थे, बुझाते हैं,  बुझाते रहेंगे. 
वाह रे ये भुट्टे, जिसमे होती है प्यारी जुल्फें, 
ऊपर लिखी लकीर के दो लफ्ज़; 'भुट्टे' व 'जुल्फें' 
इक नाम '-----------------------' 
 की याद दिलाते थे,  दिलाते हैं,  दिलाते रहेंगे. 
कृपया रिक्त स्थान की पूर्ति करें. 
जय जोहार........

9 टिप्‍पणियां:

  1. नाम तो आप ही बताइए ..........इंतज़ार रहेगा !
    जय जोहार !

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  2. रिमझिम पानी संग ओरवाती म बईठ के जोंघरी खाए के मजा कुछू अउर हे.

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  3. "जुल्फ़ीकार भुट्टो"

    तैं अइसने काबर नइ कहेस के जनउला खेलत हस।

    रिक्त स्थान भरो-रिक्त स्थान भरो लगाए हस।

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  4. जनऊला च ताय अब मिलगे उत्तर। मोरो नशा गय उतर। महराज बहुत बहुत बधाई। बेलासपुर टाइम हा बाद वाले पोस्टे च मा दे दे हे एखर उत्तर ला। एक पईत फेर बधाई।

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  5. "हरी थी मन भरी थी
    राजा जी के बाग़ में
    दुशाला ओढ़े खड़ी थी"
    ultimate combination of words.

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  6. सही लिखा ललित ने--

    "जुल्फ़िकार अली भुट्टो"

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