बुधवार, 28 जुलाई 2010

तीन दिनों की बारिश

तीन  दिनों की बारिश

प्रांत को जलमग्न किया 
किसान हुए कहीं खुश
झुग्गी  झोपडी के वासिंदों को  
क्यों तुने अर्धनग्न किया
(२) 
मांग बहुत है पानी की 
है यह किसी से छुपा नही
पर यह क्या!  तीन दिनों से 
हो रही बारिश 
जन जीवन हुआ अस्त व्यस्त
बीच बीच में क्यों रुका नहीं
(३)
आया सावन झूम के 
बिदा हुआ आषाढ़ 
जल स्तर थोड़ा बढ़ो गयो
नदी नालों में आयो बाढ़ 
नदी में आयो बाढ़,  उतर जइयो---
प्राकृतिक आपदाओं, भूखमरी,
बेरोजगारी, घोटालों,  भ्रष्टाचारों
इनकी बनी रहे जो बाढ़,
क्या करियो भइयो?????
जय जोहार .......

15 टिप्‍पणियां:

  1. क्या करियो भईया....

    बस!

    जय जोहार!!

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  3. ----- कविता काफी अर्थपूर्ण है, और ज़्यादा समकाली।

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति।जय जोहार!!

    जवाब देंहटाएं
  5. आप की रचना 30 जुलाई, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
    http://charchamanch.blogspot.com

    आभार

    अनामिका

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  6. इस बात को आपसे बेहतर कौन समझ सकता है ?

    शुक्रिया !

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  7. मंगलवार 3 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. वाह भैय्या वाह..बहुत रोचक रचना...देर से देखने पर क्षमा...लेकिन क्या खूब लिखा है आपने...बधाई..
    नीरज

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