बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

बापू बपरा देखत होही देस के खस्ता हाल

बापू बपुरा देखत होही, देस के खस्ता हाल। 
नानकुन नोनी ले दई बहिनी के होगे हे हाल बेहाल॥ 
मार काट दिन रात बढ़त हे, बाढ़त हे चोरी हारी। 
देस के करता धरता करथें, छीना झपटी मारा मारी।
साधू संत के भेस म लुटथें बहिनी बेटी के अस्मत। 
अरबों के असामी बन जाथें वाह रे इन्खर किस्मत। 
मिलिस अजादी, पर भुला डरेन हम नियम संयम अनुशासन। 
रिश्ता नाता के गला घोंट के बन जाथन दु:शासन। 
अरे दाल म काला केहे ल छोड़ के केहे ल परत हे करिया दाल। 
बापू बपरा देखत होही देस के खस्ता हाल। 
गांधी जयंती के उपलक्ष म आप जम्मो ल बहुत बहुत बधई…।

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुग्घर रचना आप करे हौ, सुग्घर लिखेव विचार
    सही कहत हौ दिन-दिन बाढ़त, हावय अतियाचार

    गांधी जयंती के बधई.............

    जवाब देंहटाएं
  2. सुग्घर रचना आप करे हौ, सुग्घर लिखेव विचार
    सही कहत हौ दिन-दिन बाढ़त, हावय अतियाचार

    गांधी जयंती के बधई.............

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  3. सही कहा है आपने बहुत बुरा हाल है इस वक़्त हमारे देश का, पता नहीं कब इन समस्याओं से मुक्त होगा।
    काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने का सुअवसर मिला। बहुत-बहुत आभार आपका

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