आँचल
माँ का आँचल ढाँकता, बेटे का हर दोष।
कितनी भी हो गलतियाँ, उपजे कभी न रोष।।
उपजे कभी न रोष, प्रेम की सरिता बहती।
ममता अपरंपार, कष्ट वह सब कुछ सहती।।
उपजे कभी न रोष, प्रेम की सरिता बहती।
ममता अपरंपार, कष्ट वह सब कुछ सहती।।
वृद्ध आश्रम आज, पुकारत कहता आ चल।
क्यों जाते हम भूल, मातृ ममता का आँचल।।
जय जोहार....
सूर्यकान्त गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंbahut khoob behtareen rachna
जवाब देंहटाएंhttp://www.pushpendradwivedi.com/%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE/
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