बुधवार, 30 जून 2010

सब्र का इम्तिहान न लो,

(1)
हे नक्सली, असली है या नकली!  
साक्षात तू नर पिशाच है कौन है तेरा उपासक 
"कायराना हरकत"  कह करते  इति श्री, तुम्हे देते सह,  
तभी तंदूरी बना रहा तू मानव की बेशक
  (2)
क्या उसूल है, क्यों करता तू यह सब,
इसके पीछे क्या है  राज
जिनके सहारे फल पूल रहे हो
उनपर क्यों नहीं  गिरती गाज
देख रहा यह देश, कब आओगे इन
हरकतों से तुम बाज !
(3)
सब्र का इम्तिहान न लो, 
एक दिन उमड़ेगा जन सैलाब,
धधक उठेगी  आक्रोश की प्रचंड ज्वाला
आहूत हो जाओगे, मिट जाओगे समूल,
परिवर्तन ही जीवन है, नैतिकता की राह पे चलो,
अब और किसी की जान न लो.
शहीद हुए उन सैनिकों को, जांबाज सिपाहियों को शत शत नमन.
जय जोहार. 

10 टिप्‍पणियां:

  1. शहीद हुए उन सैनिकों को, जांबाज सिपाहियों को शत शत नमन.

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  2. एक दिन उमड़ेगा जन सैलाब,
    धधक उठेगी आक्रोश की प्रचंड ज्वाला
    आहूत हो जाओगे, मिट जाओगे समूल,
    परिवर्तन ही जीवन है, नैतिकता की राह पे चलो,
    अब और किसी की जान न लो.
    शहीद हुए उन सैनिकों को, जांबाज सिपाहियों को शत शत नमन

    संवेदनशील कविताएँ....

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  3. एक दिन उमड़ेगा जन सैलाब,
    धधक उठेगी आक्रोश की प्रचंड ज्वाला
    ..अच्छी पोस्ट,सिपाहियों को शत शत नमन.

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  4. परिवर्तन ही जीवन है, नैतिकता की राह पे चलो,

    sundar rachna

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  5. क्या करें भाई साहब
    एकदम रूटीन हो गया है। पता नहीं कब तक अंकुश लगेगा इन पर। आपने विचारणीय पोस्ट लिखी है।

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  6. सब्र का इम्तिहान न लो,
    एक दिन उमड़ेगा जन सैलाब,
    धधक उठेगी आक्रोश की प्रचंड ज्वाला
    आहूत हो जाओगे, मिट जाओगे समूल

    एकदम सटीक! बहुत बढिया भावपूर्ण रचना....

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  7. सही बात कही आपने.एक दिन क्रांति ज़रूर आएगा..

    बढ़िया लगा....सुंदर भाव के लिए धन्यवाद

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  8. भाई इतना आसान नहीं है सब कुछ ...।

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