उमड़त घुमड़त विचार
शनिवार, 25 जुलाई 2015
मंजिल सबकी एक है
परम पिता परमात्मा, संतान आपकी हम।
मंजिल सबकी एक है, पंथ मात्र का भ्रम।।
बंधुत्व विश्व की भावना, रखने कहता धर्म।
मानवता को साथ रख, करता जा तू कर्म।।
जय जोहार....
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