उमड़त घुमड़त विचार
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017
चाय-कॉफी
चाय-कॉफी
कॉफी
सँग सँग चाय के , चलन चलै पुरजोर।
चिटिकुन फुरती लाय के, इही आसरा मोर।।
इही आसरा मोर, रहय कैफीन निकोटिन।
सुस्ती भागै थोर, मँहूँ अजमाएँव थोकिन।।
गति अति के नादान, जान लौ मिलै न माफी।
कहना लौ सब मान, सम्हल के पीयौ कॉफी।।
जय जोहार...
सूर्यकांत गुप्ता
सिधिया नगर दुर्ग...
(चित्र गूगल से साभार)
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