रेंग दिस बदरा
आस ला जगा के अउ प्यास ल बढ़ा के घलो
रेंग दिस बदरा ह ठेंगा ला देखा के गा।
सबो मुँहबाये खड़े धोखा खाके चित्त पड़े
चरित्तर बदरा के नेता कस लागे गा।।
नरवा अउ नदिया ला पाटत पटावत हें
झाड़ी झँखरा रुख राई तको हा कटागे गा।
बिनती हे "सूरज" के बचाये बर रुख राई
भरसक उदिम करे के दिन आगे गा।।
रेंग दिस बदरा ह ठेंगा ला देखा के गा।
सबो मुँहबाये खड़े धोखा खाके चित्त पड़े
चरित्तर बदरा के नेता कस लागे गा।।
नरवा अउ नदिया ला पाटत पटावत हें
झाड़ी झँखरा रुख राई तको हा कटागे गा।
बिनती हे "सूरज" के बचाये बर रुख राई
भरसक उदिम करे के दिन आगे गा।।
जय जोहार
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)
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