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रविवार, 27 सितंबर 2015

तीज तिहार के महिमा

जानव जी संगी जम्मो तीज तिहार के महिमा।
बनाये रखथे रिस्ता नाता के गरिमा।।
करथन हमू सुरता अपन लइकई के।
नंदा गे वो ठेठरी खुरमी, परेम ममा दई के।।
अब तो संगी होगे हे कल्ला कटई ये तिहार।
कहां ओ प्यार, कहां मनुहार, कहां गंवागे लाड़ अऊ दुलार।।

बुढ़ी दाई, ममादाई, दाई, मौसी, बहिनी, भउजी फुफू, काकी बेटी, नतनिन जम्मो तिजहारिन मन ल

डेंगू का प्रकोप

डेंगू का प्रकोप

बीमारी डेंगू बढ़ी, दिल्ली में ली जान।
बहस चैनलों पर चले, समाधान श्रीमान।।
समाधान श्रीमान, किसी ने नही सुझाना।
भिड़ना इनकी शान, महज आरोप लगाना।।
सचमुच समझे कौन, पीड़ितों की लाचारी।
दुखिया हो जा मौन, भगे न डेंगु बीमारी।।

गणेशोत्सव की धूम

गणेशोत्सव की धूम

रौनक सड़कों में रहे, मचे पर्व की धूम।
गणपति दर्शन के लिये, लोग रहे हैं घूम।।

आलय बप्पा के लिये, बनते विविध प्रकार।
प्रतिकृति मंदिर की कहीं, बने कंही गुरुद्वार।।

मूषक वाहन साथ में, शोभित चंदा भाल।
विद्युत सज्जा साज से, आलोकित पंडाल।।

देख सुसज्जित झांकियाँ, दृग अपलक रह जाय।
आरति पूजा वंदना, प्रभु संग प्रीत बढ़ाय।।

विनती प्रभु से एक ही, मानें जग परिवार।
विश्व शांति ही लक्ष्य हो, बंद हो अत्याचार।।

विघ्नहर्ता गणनायक गणपति सबकी रक्षा करे, बल बुद्धि विद्या से सबकी झोली भरे,
कोई भी भूखा न रहे.....जय गणेश...

जय जोहार...

शनिवार, 25 जुलाई 2015

अकाल अंदेसा




जब बरसा रानी रूठी रूठी लग रही थे तब की रचना;

बेइमान मौसम ‍बेरहमी ।बाढ़े हे कुहरन अउ गरमी।।
बादर हवे कहाँ तिरियाये। मानसून तैं बड़ भरमाये।।

देवत मौसम इही संदेसा।  होवत फेर अकाल अंदेसा।।
कुदरत संग खिलवाड़ नतीजा। तैं किसान मर मर के जिएजा।।

घोटालों की बाढ़



ऋतु बरखा बिन मेघ के, सूरज ताप दिखाय।
घोटालों की बाढ़ से, देव वरुण शरमाय।।
मेघ जब बरस नहीं रहे थे तब का है  ये .... 

असली बेसुध सोय

असली बेसुध सोय 

घोटाले करते फिरें, भले उजागर होय।
नकली पकड़े जात हैं, असली बेसुध सोय।।

बदतर बस्तर



बदतर बस्तर 

कुछ दिन पहले जवानों  की ह्त्या के सन्दर्भ में उमड़े  विचार …

अगुआ चार जवान ला, करके ले लिन जान।
वाह रे निर्दयी नक्सली, मुखिया घलो महान।।

टी वी चेनल मा दिखैं, करतेच एके बात।
छोड़वाये बर लगे हें, बिन रूके दिन रात ।।

छोड़वाये के मायने, होथे का हर प्रान।
कतको बलि चढ़ जात हें, मोरे राज महान।।

काबर एकर खातमा, कर सकैं न कोय।
घड़ियाली आंसू बोहा, पाप अपन सब धोंय।।

बस्तर बदतर होत हे, तर तर खून बोहाय।
पिटे ढोल के बोल हे, अब नई बख्शे जाय।।

बोली सुन सुन फाट गे, हिरदे तोरो ढोल।
नाक सवाया बाढ़थे, कतको खोलौ पोल।।

शहीद होय आत्मा बर शांति के प्रार्थना करत....

फेसबुक तोर अद्भुत लीला

फेसबुक तोर अद्भुत लीला।
'पोस्ट' साल मा कतकोच लीला।।

एको ठन बने पोस्ट ला लील देथे ये थोथना पोथी हा तइसे लागथे....

मंजिल सबकी एक है




परम पिता परमात्मा, संतान आपकी हम।
मंजिल सबकी एक है, पंथ मात्र का भ्रम।।

बंधुत्व विश्व की भावना, रखने कहता धर्म।
मानवता को साथ रख, करता जा तू कर्म।।

जय जोहार....

चंचल मन

चंचल मन 

चंचल मन है दौड़ता, चाल पवन से तेज।
छोड़ें मन की दासता, सद्गुण रखें सहेज।।

वाणी पर काबू नही, यदि कर पाते आप।
काज सहज निपटे नही, होत शोक संताप ।।

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डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया राग मा रमे हवै सरकार।
नदिया नरवा मा घलो अब चलही सइकिल यार।।

जनता और मुखिया

जनता और मुखिया 

जनता मुखिया भेजती, मंदिर संसद जान।
झगड़त स्वान बिलार सम, बिरथ जतावत शान।।

जय जोहार ....

सोमवार, 13 जुलाई 2015

होइस बिहान तंहा हम धरेन धियान ..

होइस बिहान तंहा हम धरेन धियान ..


आज अकास ल मूंदे बादर। 

बिन बरसे झन जाबे बादर ।।


देव गनेस सुनौ जी अरजी।

समझावौ बादर ला सरजी।।


नाना किसम किसम जंजाला।

चर्चा चारों मुड़ा घोटाला।।


मरत जात छोटे आरोपी।

बड़का बइठे पहिरे टोपी।।


राजा संग परजा घलो, कहिथें स्वारथ साध।

बलि कतको चढ़ जात हें, किस्सा हवै अगाध।।

व्यापं अबै


व्यापमं व्यापकं व्यापं अबै,

कितनी लंबी है करतूतों की श्रृंखला।

फर्जीवाड़े में दुनिया क्या यूँ ही चलै,

काबिलों का कबाड़ा क्यूं करते भला।

क्यों न सोचते कभी हम हकीकत यही,

'उसके' आगे किसी का गणित न चला।

जय जोहार...सुप्रभात्

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

विचलित मन

विचलित मन चिंता यही, कैसे संवरे काज.
प्रभु तेरा ही आसरा, रखियो हमरी लाज.

नक्सली तांडव

नमन शहीदों को करें, ईश्वर से फरियाद.
मति दुष्टों का फेरिये, मुल्क न हो बरबाद.

मानुस ही हैं नक्सली, लिये हाथ हथियार.
पीड़ा इनकी जानिये, क्यूं करते ये वार.

समाधान के वासते,  करे न सुदृढ़ उपाय.
चिंता है किस बात की, तुमको रह्यो सताय.

अब तो मुखिया जागिये, हो झट इसका अंत.
इकजुट हो लें फैसला, शासक जनता संत..

ताण्डव करते नक्सली, रोक सके ना कोय.
मांगें कितनी उजड़ गईं, गोदें सूनी होय.

धरे रूप विकराल ये, रक्तबीज अवतार.
करो शक्ति संचार माँ,  हो इनका संहार..


शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धाँजलि सहित सादर नमन
जय जोहार.....

काव्य श्रृंखला

दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति द्वारा सराहनीय प्रयास जारी है; छत्तीसगढ़ महतारी के सपूतों की प्रतिभा को उकेरने के लिये. इस कार्य के लिये समिति के अध्यक्ष आदरणीय डॉ. संजय दानी जी, भाई संजीव तिवारी जी व समिति के समस्त पदाधिकारीगण को तहे दिल से बधाई देता हूँ. धन्यवाद देता हूँ.

         क्रमशः इस सोशियल मीडिया पर अपनी काव्यांजलि प्रस्तुत करने के लिये साहित्यकारों को नामित किया जा रहा है. न केवल नामित किया जा रहा है वरन नामितों से भी अनुरोध किया जा रहा है कि वे भी अपने समीप के प्रतिभावानों को अपनी रचना यहाँ प्रस्तुत करने हेतु नामित करें. बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है. एक श्रृंखला बन गई है. आज आदरणीय अरुण निगम भैया द्वारा अपने सुंदर गज़ल प्रस्तुतीकरण के साथ फेसबुक के इस सदस्य को भी नामित किया गया है. आदरणीय अरुण भैया को बहुत बहुत धन्यवाद व आभार. मुझे उनसे प्रोत्साहन व मार्ग दर्शन सदैव प्राप्त होते रहता है.  मगर अपने आप को अभी तक इस काबिल नहीं बना पाया हूँ कि साहित्यकार कहलाऊँ. बतौर प्रयास क्षेत्रीय बोली अपनी बोली छत्तीसगढ़ी में चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत करते हुये दुर्ग के साहित्य साधक व साहित्य सेवक आदरणीय संजीव भाई को अपनी रचना प्रस्तुत करने हेतु नामित करता हूँ.

घर परिवार समाज जी,  चलै न बिन नर नार.
भेद तभो कर डारथन,  हम बिन सोच विचार.

बेटी घर जब जनम लै, ददा दाइ अकुलाय.
बेटा मारै लात तौ, बेटी सुरता आय.

जाने बात त आय इही, बेटी पराया धन.
आत बिदाई के घड़ी, होथे ब्याकुल मन.

बेटा बर उहि दई ददा, बढ़ चढ़ के इतरांय.
दाई कभू बेटी रिहिस, काबर याद न आय.

तैं बाबू के दाइ ओ, बन गे हस अब सास.
बाढ़ गे हे तोर ओहदा, बन गे हस तैं खास.

कर खियाल ओ दिन तंहू, घुसरे तैं ससुरार.
नवा बहुरिया सास संग, कतका मिलिस बिचार.

बर बिहाव तो आय जी, जिनगी के संस्कार.
निभै निभावै प्रेम से, रख हिरदे मा प्यार.

जय जोहार....