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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

प्रदूषण के कितने प्रकार

(१)
प्रदूषण के कितने प्रकार
पूछना न कभी किसी से यार  
भौतिक, शारीरिक  या  चारित्रिक
हर कोई प्रदूषण झेल रहा है
कुछ दूसरे पर ठेल रहा है
(२)
सरकार बनाती है योजनायें
तय करती है एक समय सीमा
हम जो ठहरे आलस के पुजारी,
करते हैं काम धीमा धीमा
(३)
शहर की  सड़क, गाँव की डगर
सुधर रही हैं, गति धीमी है मगर
मार्ग दोराहा नहीं रह गया है
एक तरफ 'कार्य प्रगति पर' लिख
दूसरी ओर पथिकों की दुर्गति कर गया है.
(४)
रोड जाम है;
दुपहिया तिपहिया बहुपहिया वाहन फेंके धुंआ, 
करें हैरान, कर  'ध्वनि-संकेत' का शोर  
बहरे हो गए कान, हो गई नजर कमजोर
धूल स्नान कर कर के हो जाती जनता  धुलिया
 बदल जाता है गाँव, शहर संग जनता का भी हुलिया 
जय जोहार..............

सोमवार, 23 अगस्त 2010

निर्मल मन के निर्मल पांखी

रोगों से रक्षा करता है रक्षा सूत्र                 
कर्तव्यों की याद दिलाता है रक्षाबंधन
इस रक्षाबंधन दिन भर बंधेगी राखी
हम भी बंधे हैं मीठे बंधन से
सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन (24 अगस्त) का पर्व मनाया जाता है। जन-जन में यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों का अटूट बंधन और स्नेह का विशेष अवसर माना जाता है।
दरअसल रक्षाबंधन भारतीय धार्मिक परंपराओं में ऐसा पर्व है, जो न केवल भाई-बहन वरन हर सामाजिक संबंध को मजबूत करने की भावना से भरा है। इसलिए इस पर्व को मात्र भाई-बहन के संबंध से जोडऩा इसके महत्व को सीमाओं में बांधना है।
यह पर्व गहरे सांस्कृतिक, सामाजिक अर्थ लिए हुए हैं। इस त्यौहार के अर्थ को समझने के लिए रक्षा बंधन का मतलब जानना जरुरी है। प्रेम, स्नेह और संस्कृति की रक्षा का पर्व ही रक्षा बंधन है। यह एक-दूसरे की रक्षा के वचन का अवसर है। यह भावनाओं और संवेदनाओं का बंधन है। बंधन का भाव ही यह है कि एक को दूसरे से बांधना। ऐसा बंधन कोई भी किसी को भी बांध सकता है।
भाई-बहन के अलावा रक्षा सूत्र गुरु-शिष्य, भाई-भाई, बहन-बहन, मित्र, पति-पत्नी, माता-पिता-संतान, सास-बहू, ननद-भाभी और भाभी-देवर एक-दूसरे को बांध सकते हैं। क्योंकि बंधन का भाव ही यह होता है कि एक-दूसरे के लिए हमेशा प्यार, विश्वास और समर्पण रखना।
पुराण और इतिहास के अनेक प्रसंग साबित करते हैं कि पत्नी अपने पति की रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधती थी। लेकिन समय और परंपराओं में बदलाव के साथ यह भाई और बहन के संबंधों के अर्थ में ही प्रचलित हो गया।
रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई
वास्तव में बंधन और नियम पालन से ही सभ्य समाज बनता है। इससे ही हर संस्कृति को सम्मान मिलता है। रक्षा बंधन भी अपनत्व और प्यार के बंधन से रिश्तों को मज़बूत करने का पर्व है। बंधन का यह तरीका ही भारतीय संस्कृति को दुनिया की अन्य संस्कृतियों से ऊपर और अलग पहचान देता है।
"येन बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल:।तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"
"जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबन्धन से मैं तुम्हें बांधता हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।" इस पावन पर्व पर अपने गुरुजनों से विद्वानों से, ब्राह्मणों से, इस मन्त्र के साथ रक्षा सूत्र बंधवा उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
निर्मल मन के निर्मल पांखी
मानत हौ बहिनी के रिश्ता
दौ ओला अपन पावन आंखी
मन के बिस्वास ले बढ़ के नई ये कौनो
ये पवित्तर रिश्ता के साखी
इही भावना के संग मा संगी
बान्धौ अउ बंधवाऔ राखी
एक बार फेर ये तिहार के जम्मो झन ला गाड़ा गाड़ा बधाई
बड़े से बड़े आफत ले उबारे भगवान करावे झन काखरो से लड़ाई
जय जोहार........

प्याज चौदह रूपये किलो और आलू दस

मित्रों, आप सभी को सादर नमस्कार!
घर में अभी भी अंतरजाल के तार जुड़े नहीं हैं. बस चंद मिनट के लिए ही सही,  यहाँ कुछ लिखने को मन हुआ, बैठ गया.  साग भाजी खरीदने हमने दिन निश्चित नहीं किया है. कभी भी चले जाते हैं. शनि वार का दिन था पास में ही बाज़ार लगता है, चले गए. परिवर्तित निवास स्थान से बाज़ार नज़दीक है. एक दो दिन के अंतराल में चले जाते हैं. एक दिन फरमाइश हुई सब्जी लाना है. निकल पड़े सब्जी लेने. क्या क्या लाना है यह पूछते नहीं. हाँ घर आते ही जरूर पूछा जाता है क्या क्या लाये. सो घर आते आते हम इस प्रश्न का उत्तर तैयार करने में लग गए. जो सब्जियां खरीदी गईं थीं उन  पर ही. सब्जियों के भाव (प्रति किलो) याद कर लिए थे  ;
प्याज चौदह रूपये किलो
और आलू दस
धनिया मिर्ची टमाटर को न माने सब्जी
तो हम लाये हैं करेला भिन्डी बरबट्टी, बस.
आजकल सब्जियों के भाव के बारे में कुछ कहना ही नहीं है.  कुछ भी 'भाव' नहीं उमड़ रहे.  वजह अब सभी सब्जियां बारहों महीने उपलब्ध हैं उनके अब कुछ भाव रह नही गए हैं. नियत अवधि के पहले (प्री मैच्योर)  ही 'बड़े' हो रहे हैं.
बड़े बनने के चक्कर में सब्जी उत्पादक 
विज्ञान के चमत्कारों से प्रभावित, 
जन साधारण के लिए 'धीमे जहर' का
रासायनिक मिश्रण का इंजेक्शन सब्जी भाजी में लगा  
इनका बचपना छीन रहे हैं और
बना रहे हैं बाज़ार में बिकाऊ 
कह रहे हैं, क्या करना है? रख के अपने
हाड़ मांस को ज्यादा दिन टिकाऊ.
अच्छा है, ऐसे स्लो पॉयजन ले के
पता भी नहीं चलेगा, दिखने लगेगा
ऊपर जाने का रास्ता
मंहगाई की मार से
आतंकी, नक्सली के हथियार से
आजकल प्रचलित  'शिष्टाचार' से
तेरा कभी नहीं पड़ेगा वास्ता.
जय जोहार.........

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

हरियाली की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं

आप सभी को हरियाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
जादू टोना मन्त्र-तंत्र,  कलजुग के सारे यंत्र-तंत्र
रख सद्भाव करें जागृत, आवें काम सर्वदा जनहित   
आपदाओं को दूर करे, आतंकी अत्याचारी डरे 
विश्व-शांति मिशन हो अपना, जन जन अलख जगाएं
बंद कर प्रकृति से खिलवाड़, पर्यावरण बचाएं 
चहुँ ओर हरियाली छाये चहुँ ओर हरियाली छाये
जय जोहार......

सोमवार, 9 अगस्त 2010

अभी बहुत दिन ले रैहौं सबले दुरिहा

सभी मित्रों को क्षमा प्रार्थना के साथ नमस्कार.  कुछ परिस्थितियाँ ऐसी निर्मित हो जाती हैं जो कुछ दिनों के लिए अपनों से अलग कर देती हैं  जुड़ने के लिए समय लग जाता है. इसके अलावा एक वजह ब्लॉगर मित्रों से अलग होने का यह भी है कि अभी अंतरजाल की बुनाई कहीं से टूट गई है और यही वजह है अभी लेखनी बंद है.  आज कहीं ज़रा  सा वक्त मिला है सो  अपनी इन पंक्तियों से इन्हें क्षेत्रीय बोली में व्यक्त करने का प्रयास किया है:-
चाहे महल हो, बंगला हो
चाहे बनवाथें अपन बर कुरिया
चाहे बेटी ल भेजे बर परै दुरिहा
चाहे घर मा लाव  बहुरिया
बने बने माड़ गे गाड़ी  अपन पटरी माँ त  ठीक हे
नई तो कर दे थे अपन ला अपने च ले दुरिहा
सारांश यह है कि अभी हम सरकारी आवास छोड़ के अपने  ठौर (जुन्ना कुरिया) में रंग रोगन करके रहने चले गए हैं. इस वजह से सारे टेलीफोन कनेक्शन अंतरजाल (इन्टरनेट) कनेक्शन टूट चुका है. अभी जुड़ने में वक्त लगेगा. तब तक अवसर मिलने पर ही मुलाक़ात हो सकेगी.
जय जोहार........