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रविवार, 4 सितंबर 2016

विदाई(1)

प्रभुजी की माया, पाते काया, मानुस के हम, रूप धरे।
कर वक्त न जाया, अवसर पाया, परहित के कुछ, काज सरे।।
जब क्षण वह आता, प्रान गँवाता, देत विदाई, रोय सभी।
मरता दुष्कर्मी, दुष्ट अधर्मी, दुख सचमुच ना होय कभी।।

विदाई (2)

हे जगत विधाता, हे जग त्राता, रिश्ता नाता, तँही गढ़े।
सुख दुख सिखलाये, प्यार जगाये, सँग मा गुस्सा घलो मढ़े।।
घर घर के किस्सा, सबके हिस्सा, सुख दुख दूनो संग चलै।
ये घड़ी विदाई, बड़ दुखदाई, पीर जुदाई खूब खलै।।

जय जोहार।…॥
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)

पोरा के गाड़ा गाड़ा बधाई


पोरा के गाड़ा गाड़ा बधाई

कइसे मानन हमू तिहार।
दउड़ावन बइला ला यार।।

बइला चुलहा चकला जान।
बरतन भाँड़ा सबो मितान।।

माटी के बरतन सब लान।
नोनी बाबू खेलन जान।।

हर तिहार के महिमा ताय।
खेल खेल मा देत बताय।।

जीये बर सब लागै चीज।
खेलत खेलत सीख तमीज।।

आज ठेठरी डटके खाव।
पोरा सुग्घर परब मनाव।।

जय जोहार……

सूर्यकांत गुप्ता..
सिंधिया नगर दुर्ग(छ्त्तीसगढ़)

दौलत

दौलत

चाह दौलत की हमें भरपूर है
राह कैसी भी रहे मंज़ूर है
ग़म नहीं हक दूसरों का छिन रहा
आज तो इंसानियत मज़बूर है

जय जोहार……

सूर्यकांत गुप्ता..
सिंधिया नगर दुर्ग(छ्त्तीसगढ़)

तीजा तिहार...


तीजा तिहार...

पगे प्रेम रस चासनी, नाता रिश्ता मान ले।
हम तिहार सब मानथन, एकर खातिर जान ले।।

उमा उमापति प्रेम तो, उदाहरन संसार के।
हे तिहार तीजा सुनौ, पति पत्नी के प्यार के।।

बहिनी भउजी दाइ मन, रथें अगोरत तीज ला।
राखे रथें सँजोय के, मया पिरित के चीज ला।।

मइके के अड़बड़ मया, ले बर जाथे भाइ हा।
ठेठरी खुरमी राँधथे, लुगरा राखै दाइ हा।।

बिन अहार पानी बिना, करथें कठिन उपास जी।
जगैं रात पूजा रखैं, शिव गौरी के खास जी।।

किरपा भोलेनाथ अउ, पारबती करहीं सदा।
सुखी रहै परिवार सब, बने रहैं दाई ददा।।

जय जोहार....
जम्मो तिजहारिन मन ला
तीजा के गाड़ा गाड़ा बधाई ..।..

सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)
(चित्र गूगल से साभार)

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

रेंग दिस बदरा

रेंग दिस बदरा
आस ला जगा के अउ प्यास ल बढ़ा के घलो
रेंग दिस बदरा ह ठेंगा ला देखा के गा।
सबो मुँहबाये खड़े धोखा खाके चित्त पड़े
चरित्तर बदरा के नेता कस लागे गा।।
नरवा अउ नदिया ला पाटत पटावत हें
झाड़ी झँखरा रुख राई तको हा कटागे गा।
बिनती हे "सूरज" के बचाये बर रुख राई
भरसक उदिम करे के दिन आगे गा।।
जय जोहार
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)

परियावरन बचाव

परियावरन बचाव
चीरत हौ का समझ के, मोरद्ध्वज के पूत।
काटे पेड़ जियाय बर, नइ आवय प्रभु दूत।।
रूख राइ काटौ मती, सोचौ पेड़ लगाय।
बिना पेड़ के जान लौ, जिनगी हे असहाय।।
बिन जंगल के हे मरें, पशु पक्षी तैं जान।
बाग बगइचा के बिना, होही मरे बिहान।।
आनन फानन मा सबो, कानन उजड़त जात।
करनी कुदरत ला तुँहर, एको नई सुहात।।
पीये बर पानी नही, कइसे फसल उगाँय।
बाढ़े गरमी घाम मा, मूड़ी कहाँ लुकाँय।।
जँउहर तीपन घाम के, परबत बरफ ढहाय।
परलय ओ केदार के, कउने सकय भुलाय।।
एती बर बाढ़त हवै, उद्यम अउ उद्योग।
धुँगिया धुर्रा मा घिरे, अनवासत हन रोग।।
खलिहावौ झन देस ला, जंगल झाड़ी काट।
सरग सही धरती हमर, परदूसन मत पाट।।
करौ परन तुम आज ले, रोजे पेड़ लगाव।
बिनती "सूरज" के हवै, परियावरन बचाव।।
जय जोहार.......
सूर्यकांत गुप्ता
1009, "लता प्रकाश"
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

माटी के मितान

माटी के मितान
माटी के मितान कथें तोला जी किसान रहै नाँगर धियान देख बरसात आगै जी।
खेत के जोतान संग धान के बोवान जँहा माते हे किसान देख मन हरसागै जी।।
मनखे ल जान होथें स्वारथ के खान कथें तोला भगवान साध मतलब भागैं जी।
परै न जियान जब होवस हलकान तँह देथस परान सोच करजा लदागै जी।।
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

मनखे के तेवर

तेवर मनखे के चढ़ै, सम्हले ना सम्हलाय।
चिटिकुन गलती देख के, नानी याद देवाय।।

भय भीतर माढ़े रथे, तभे उपजथे क्रोध।
जब अंतस मा झांकथे, होथे एकर बोध।।

बड़े बड़े विद्वान के, अलग अलग हे झुंड।
सुधा पान स्नान बर, जघा जघा हे कुंड।।

गुस्सा ले बढ़के कथें, करौ क्षमा के दान।
गलती बर जी डांट दौ, समझ तनिक नादान।।

जय जोहार......

सूर्यकांत गुप्ता
1009 सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)