"ॐ गं गणपतये नम:"
"ॐ श्री दुर्गायै नम"
या देवी सर्वभूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता,
"ॐ श्री दुर्गायै नम"
या देवी सर्वभूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
प्रथमम शैलपुत्री च द्वितियम ब्रह्मचारिणी।
त्रितियम चंद्र्घण्टेति कूष्मांडेति चर्तुथक॥
पंचमं स्कन्दमातेति शष्ठमम कात्यायनीति च।
सप्तमम कालरात्रीति महागौरीतिचाष्टमम॥
नवमं सिद्धिदात्रीच नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥
"माँ भगवती जगत का कल्याण करे"
सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
त्रितियम चंद्र्घण्टेति कूष्मांडेति चर्तुथक॥
पंचमं स्कन्दमातेति शष्ठमम कात्यायनीति च।
सप्तमम कालरात्रीति महागौरीतिचाष्टमम॥
नवमं सिद्धिदात्रीच नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥
"माँ भगवती जगत का कल्याण करे"
सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जय जोहार.....
3 टिप्पणियां:
आप ला गाड़ा गाड़ा बधाई।
नवरात्रि की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
आपकी पोस्ट पर सुन्दर श्लोक पढकर मन प्रसन्न
हो गया है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,सूर्यकान्त जी.
बढ़िया पोस्ट .
नवरात्रि की हार्दिक बधाई .
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