ब्लॉग
भीतर छिपी हुई प्रतिभाओं को
निखारने का, उभारने का उत्तम माध्यम
पर इस बारे में कुछ ब्लोगरों का अभिमत
खींच रहा है ध्यान
डाक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के
लेख "साहित्य की महत्ता " में लिखी
इन पंक्तियों की ओर .....
"आज मनुष्य अपनी रेखा बड़ी करने
के बजाय दूसरों की रेखा छोटी करने में लगे हैं"
पूरा संदर्भ याद नहीं आ रहा है क्योंकि आज से ३० वर्ष पहले स्कूल के दिनों में पढ़ा था.
ठीक है भाई अपनी अपनी सोच
अपने अपने विचार
टेंशन लेने का नई
डालना न कभी हथियार
1 टिप्पणी:
बिलकुल नहीं जी हथियार डालने तो सीखे नहीं अच्छी रचना के लिये आभार्
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