आज का प्रचार प्रसार माध्यम जिसे हम प्रचलित भाषा में "मीडिया" कहते हैं, अपनी गुणवत्ता बढ़ाने में जुटा रहता है. कोई बुरी बात नहीं है. मगर इस चक्कर में जिस प्रकार अंधाधुंध किसी धारावाहिक की तरह किसी घटना दुर्घटना पर टूट पड़ती है मीडिया और तकरीबन चलता है सप्ताह भर, यह समझ से परे है. किसी किताब में किसी की लिखी भविष्य वाणी किसी के द्वारा पढ़ी गयी है कि सन दो हजार बारह में पृथ्वी नष्ट हो जाएगी. बात मीडिया तक पहुची और एक नयूज चेनल द्वारा इस प्रलय के बारे में प्रस्तुतीकरण ऐसा रहा कि बस अब सभी कुछ ही दिनों के मेहमान हैं. आजकल दिनों दिन घटनाओं दुर्घटनाओं में जिस कदर बढ़ोतरी दिखाई दे रही है, प्राकृतिक आपदाएं भी आते जाती हैं, लगता है इसी को प्रलय कहा जाता है. प्रलय तो रोज आता है. वह व्यक्ति जो किसी दुर्घटनावश हो अथवा स्वाभाविक मौत मरा हो उसके लिए तो पृथ्वी वैसे ही नष्ट हो गयी. कौन आता है देखने? वैसे ज्योतिष मनीषी कह रहे हैं सन दो हजार बारह मे कुछ नही होने वाला है। कलयुग की आयु ही तकरीबन चार लाख से ऊपर है जबकि कलयुग की आयु सबसे कम है। हमने विचार किया क्या ऐसी घट्ना दुर्घटना ही प्रलय तो नही । इस प्रकार की घटनाओ छुट्कारा कैसे पाया जा सकता है? आज की विमान दुर्घटना ही ले लीजिये। इससे पहले कल -परसो तूफान "लैला," और इसके साथ साथ बन्डू" के बारे मे अखबार मे पढ़ रहा था। अब दोनो तूफ़ान कभी न कभी भारी पड़ सकते है। कहने का तात्पर्य लोगों के लिये एक प्रकार से ये तूफ़ान ही प्रलय है। अच्छा यह रहेगा कि हम सब मिलकर इस बारे मे सोचे और ठानलें कि प्रक्रिति से खिलवाड न करें। फिर देखें इस तरह की समस्यायें कम कैसे होती है। जय जोहार्………
3 टिप्पणियां:
...जोहार .. जय जय छत्तीसगढ !!!
जय जोहार्……
pata nahi ye pralay hai ya nahi...par haan sunaami jaisi ya europe me hue jwalamukhi fatne jaisi ghatnaayein to pralay ki ore hi sanket deti hain...
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