"ॐ हं हनुमते नमः"
शनिवार का दिन. सोचा हूँ शनिवार के दिन श्रीरामचरितमानस के सुन्दर काण्ड से कुछ न कुछ चौपाई हो या दोहा, यहाँ उद्धृत करूं. सो आज मन बोला की दोहा क्रमांक ३७ का जिक्र हो जाय. इसका शाब्दिक अर्थ कितना सटीक है. सच्चा मंत्री, सच्चा गुरु, और सही वैद्य वही होगा जो बिना भय के चाटुकारिता छोड़ सही सही बातें कहे. किसी भी राज्य का कल्याण राजा की खोखली प्रशंसा से नहीं हो सकता. यदि राजा गलत है तो स्पष्ट उन्हें बताना होगा की वह कहाँ गलत है. याने उचित सलाह. गुरु यदि धर्म की सही व्याख्या नहीं करते वहाँ धर्म का नाश और यदि वैद्य यदि परहेज के लिए सही चेतावनी न दे, डर के मारे, तो जीवन ख़तम. सारांश में इनके द्वारा यदि भय लाभ या नाराजगी से कोई ठकुरसुहाती बात कही गयी तो समझ लो राज्य, धर्म, और शरीर तीनो का नाश होना निश्चित. लंका नरेश रावण की यही स्थिति थी. भाई आज दैनिक काम काज में खासकर आप शासकीय कर्मचारी हैं तो यही होता है "बॉस इज आलवेज राईट " का मूलमंत्र अपनाओ. बॉस का कल्याण भले न हो अधीनस्थ का कल्याण जरूर होने की आशा रहती है यदि बॉस चाटुकार पसंद है तो. प्रस्तुत है दोहा:-
"सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहि भय आस.
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास".. श्री राम चन्द्र भज जय शरणम...
जय जोहार...........
3 टिप्पणियां:
sahi kaha...zindagi chatukarita ke joothan pe pal rahi hai aur kehte hain..aal izz well
... जय श्रीराम !!
सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहि भय आस.
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास"..
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