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सोमवार, 17 मई 2010

"जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय"

                          आज  है वह तारीख  जब हम इस दुनिया में आये. वर्ष था 1963 आज से केवल पांच दिन बाद  याने 22  मई 1963,  माताजी ने हमारा साथ छोड़ दिया. स्वर्ग सिधार गईं.  मगर विधि का विधान देखिये.  हमारी नानी ने हमें पूर्ण माँ का प्यार दिया पाला पोंसा  और हम आज इस मुकाम पर हैं.  यहीं ख़त्म नहीं होती कहानी.  वर्ष 1976 दिन व तारीख ठीक ठीक याद नहीं है.  सर से बाप का साया भी उठ गया.  धन्य हैं मेरे मातामही, पितामही, मातुलान/मामीजी.  माताजी की बहन याने मौसीजी का भी यही हाल रहा अंतर केवल इतना कि उनकी संतानों में २ बेटियां व एक बेटा है.  हम हैं अपने माँ बाप के इकलौते बेटे. आज मौसी व मौसा जी भी नहीं हैं.  वैसे इन बातों के अलावा हमारे साथ घटनाएं/दुर्घटनाएं भी बहुत घटी हैं.  अब माने या न माने मैं बचपन से कई दुर्घटनाओं का शिकार हुआ हूँ.  22 मई सन दो हजार छः  की घटना ने तो झकझोर ही दिया था.  22 मई याने  माँ की पुण्य तिथि.(माता पिता दोनों को हम सभी की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित व ईश्वर से प्रार्थना कि अगले जनम में आपकी संतान होऊं और आप लोगों की सेवा का अवसर प्राप्त हो. )  प्रस्तुत है घटना का पूर्ण विवरण:-
(1)
                           सन दो हजार चार में हम भिलाई से  स्थानांतरित होकर गए थे बिलासपुर. 20 मई दो हजार छः   साप्ताहिक अवकाश होने के नाते कर्तव्य स्थल बिलासपुर से  हम लगभग रात डेढ़ बजे अपने घर भिलाई  पहुंचे थे. रविवार का समय अच्छे से बच्चों के साथ बिताया. चूंकि हमारे तात्कालिक प्रभाग प्रमुख श्री सालुंखे साहेब भ्रमण पर बाहर निकले थे, सोचा गया कि आराम से छत्तीसगढ़ ट्रेन से निकला जावे. वैसे हम प्रायः साउथ बिहार एक्सप्रेस से जाया करते थे. उन दिनों यह ट्रेन सूर्योदय से पहले करीब पांच बजकर बीस मिनट पर दुर्ग स्टेशन से छूटती थी. "छत्तीसगढ़" ट्रेन के बारे में रेलवे इन्क्वारी से पूछा गया. पता चला लगभग एक घंटे विलम्ब से चल रही है. 
(2) 
                          इस दरमियान सर्व सहमति से योजना बनी कि क्यों न कुछ दिनों के लिए स्ववाहन से सपरिवार बिलासपुर भ्रमण कर आया जावे. मुंगेली जाने का भी प्लान था. फटाफट सामान गाड़ी में रखे गए. मेरे बेटे ने उसी समय गिटार सीखना शुरू किया था. अतएव सोचा गया कि गिटार भी साथ ले चलें. गाड़ी बिलासपुर के लिए रवाना हुई. बिना किसी व्यवधान के रायपुर शहर पार कर लिए. बड़ी मस्ती और दंभ में कि यह जनाब तो अब गाड़ी चलाने में माहिर हो गया है, गति का ध्यान न रखते हुए चले जा रहे थे.  पता नही क्यों किसी बात की चर्चा होने पर  इस जनाब को  अपनी आँखों में चित्रित करने की आदत सी हो गई है. ध्यान केन्द्रित नहीं रख पाता. चर्चा होने लगी  पत्नी के  दिवंगत बड़े पिता जी याने हमारे बड़ा श्वसुर की.  उनकी छवि मानस पटल पर दिखाई पड़ने लगी. हाँ जगह थी "धरसीवां" के पास की. वहां अक्सर दुर्घटनाएं होते रहती हैं. दुर्घटना जन्य  क्षेत्र माना जाने लगा है. सामने से एकाएक आती हुई मोटर साइकिल के पार करने से किंकर्तव्य विमूढ़ हो अपना संतुलन खो बैठा व खड़ी लारी में कार घुसा दिया. ईश्वर की कृपा देखिये. घायल पत्नी बच्चों व स्वयम के लिए दूत भेज दिया ताकि समय रहते उपचार सुविधा प्राप्त हो जावे. बिलासपुर से कार से  आ रहे भले मानुषों से ऐसा सहयोग मिला जिसे हम कभी भी नहीं भुला सकते और न ही उनके इस उपकार का बदला चुका सकते. वैसे तो पता नही इस नाचीज पर कितनो के ऐसे ऋण हैं जिससे उऋण  हुआ ही नहीं जा सकता.  ईश्वर से सदैव यह प्रार्थना रहेगी कि हमारे पूरे परिवार को किसी भी समय किसी की भी  विषम परिस्थिति में सहायता करने की प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान करे.
                                                                    क्रमशः                                                                                                                                                                                                                               
                                                          

6 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

जाको राखे सांईया मार सके ना कोय
बाल ना बांका कर सके जो जग बैरी होय।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

जनम दिन के गाड़ा गाड़ा बधई

कडुवासच ने कहा…

.... जन्म दिन की शुभकामनाएं !!!

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

janmdin ki hardik badhai evam subh-kaamnayen

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

drsatyajitsahu.blogspot.in ने कहा…

ईश्वर से सदैव यह प्रार्थना रहेगी कि हमारे पूरे परिवार को किसी भी समय किसी की भी विषम परिस्थिति में सहायता करने की प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान करे.
अच्छा लेख है

sandhyagupta ने कहा…

ईश्वर से सदैव यह प्रार्थना रहेगी कि हमारे पूरे परिवार को किसी भी समय किसी की भी विषम परिस्थिति में सहायता करने की प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान करे.

Hum sabon ki yah prarthana rahegi.Janm divas ki shubkamnayen.