शायद अपरान्ह है या पूर्वान्ह
श्री पाबला जी ने हमारे मोबाइल की घंटी घनघनवाया
कहा आज शाम छः बजे हिमालय काम्प्लेक्स में ब्लोगर्स मीटिंग है भाया
आज हम थे इतने व्यस्त,
पर व्यस्त रहने के बाद भी
काम न होता देख हो गए थे त्रस्त
दोपहर में चले गए निद्रा माँ की शरण में
उठे तीन बजे, चार बज गया उदर-भरण में (भोजन हुआ)
आलस्य - संग हुई दोस्ती, हुआ सांध्य स्नान
फिर अचानक ब्लोगरों से मिलने को आया ध्यान
जाने से पहले सोचा पूछ लें, ब्लोगर मिलन हो चुका
या चल रहा
समय पे नहीं आ पा रहे हैं, हमको है यह खल रहा
खटखटाए मोबाइल संजीव का, मिला हमें जवाब
अरे अभी अभी है शुरू हुआ आ जाइए जनाब
पर पाबला जी ने लगाई पेनाल्टी हम पर, पर हुआ न पैमाना तय
जैसे ही पहुंचे काफी हाउस, हुआ माहौल ब्लॉगमय
भाई शरद संजीव औ सूर्यकांत बैठे थे पास पास (एक पंक्ति में)
पाबला जी के संग बैठे थे दो मेहमान खासम ख़ास (सामने)
परिचय की कड़ी में जुड़े नरेश सोनी जी, श्री सतीश चव्हान
अगली मीटिंग अपने घर करने का सतीश जी ने किया आह्वान
ललित जी , ग्वालानी जी की गैर हाजिरी थोड़ी जरूर खली
फिर भी ज्यादा से ज्यादा अपने क्षेत्र के ब्लोगरों को इसमें
शामिल करने की चर्चा चली
कुछ दूर दराज के मित्रों से मोबाइल थ्रू भी बात किये ( अजय झा जी )
कथा व्यथा अपनी अपनी आपस में सहजता से दिए लिए
ब्लोगर मिलें, यह कैसे हो सकता, न हो फोटोग्राफी सेसन
आनंद लिए फोटोग्राफी का, देखेंगे फोटो मिलने पर हम दिखते
हैं कईसन कईसन
हुई न ख़तम ये चर्चा, गए सब पान दुकान
कोऊ मांगे तनि खैनिवा औ कोऊ चबावई पान
यही थी समापन की जगह, होने लगे सब अंतर्ध्यान
फोटू फाटू न होवन से यह पोस्ट लग रहा निष्प्राण
जय जोहार ..............
5 टिप्पणियां:
आखिर लिखे डारे ना!
बने जानकारी दे हव बैठकी के
गाड़ा गाड़ा बधई।
भेलई मा "करी लाड़ू" कहाँ मिलथे?
दु सैकड़ा बिसाना हे।
आपका भी है लिखने का निराला अंदाज
लेकिन हम भी बता दें हमारा नाम है राज
आपका का भी है लिखने का निराला अंदाज
लेकिन हम भी बता दें हमारा नाम है राज
आखिर ठोकेच्च डारेस पोस्ट।
बने हे।
nice
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