आईए मन की गति से उमड़त-घुमड़ते विचारों के दांव-पेंचों की इस नई दुनिया मे आपका स्वागत है-कृपया टिप्पणी करना ना भुलें-आपकी टिप्पणी से हमारा उत्साह बढता है

शुक्रवार, 28 मई 2010

छत्तीसगढ़ी के गुरतुर गोठ, (छत्तीसगढ़ की मीठी बोली)

छत्तीसगढ़ी बोली को आप अंग्रेजी की तरह बोली जाने वाली कह सकते हैं. मिसाल के तौर पर एक वाक्य लेते हैं "पिताजी भोजन कर रहे हैं"  कर रहे हैं शब्द का प्रयोग  अंग्रेजी में बहु वचन के लिए होगा (means plural number) नहीं तो साधारण तौर पर लिखेंगे Father is eating. हम हिंदी में बड़ों के प्रति आदर भाव प्रकट  करने के लिए  "कर रहे हैं"  प्रयोग करते हैं.  पर छत्तीसगढ़ी में अंग्रेजी के माफिक कहेंगे ददा खाथे. ददा याने पिताजी. खाथे याने खा रहे हैं.  ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं. मेरा बचपन गाँव में बीता है. पहले गाँव में मनोरंजन के कोई साधन नहीं हुआ करते थे. ज्यादा हुआ किसी चौपाल में छोटा मोटा गीत संगीत का (फ्री स्टाइल में गाने बजाने वालों का) कार्यक्रम होते रहता था. वह भी किसी त्यौहार विशेष के अवसर पर. अन्यथा महिलायें कहीं पर एक साथ बैठ कर बतियाते रहती थीं. अन्य व्यक्ति के बारे में चर्चा कर, निंदा कर, उन्हें मजा आता था. बतौर प्रहसन इसे लिखा जावेगा. कृपया प्रतीक्षा करें.  मुझे याद आ रहा है उच्चतर माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के दौरान हिंदी के पीरिएड में व्याख्याता महोदय द्वारा किसी विषय पर निबंध लिखने का तरीका क्या क्या होता है यह उदाहरण छत्तीसगढ़ी बोली के माध्यम से बताया गया. उन्होंने शुरू किया "भूमिका" से. अब भूमिका क्या होती है इसे समझाने के लिए जो मजेदार बात उन्होंने बताई वह थी गाँव  में यदि किसी के घर भोजन बन रहा हो और भोजन बनाने वाली को पता चलता है कि सब्जी में डालने के लिए नमक नहीं है तब वह पड़ोस से नमक मांगने जाती है और बतौर भूमिका के पड़ोसन को आवाज देते हुए कहती है; "हवस का ओ मंगलू के दाई ? का साग रांधत हस ओ? तात्पर्य मंगलू की माँ क्या सब्जी बना रही हो? लेना उसे वहां से नमक है पर बतौर भूमिका वह पहले यह प्रश्न कर रही है. यह अलग बात है कि कभी कभी संवाद यहाँ से शुरू होकर महाभारत में भी तब्दील हो जाता था. प्रहसन के रूप में एक छोटा उदाहरण दिया जावेगा ..... अगले  पोस्ट में.
जय जोहार......... 

कोई टिप्पणी नहीं: