(१)
केहे के आय गुरतुर, कोन जनि काबर नई पावै
काखरो आशीर्वचन के दू भाखा
सोचे ल पड़ जाथे, कैसे फैले पूरा जग माँ
बर के पेड़ सरीख ये भाखा के शाखा
(२)
वैसे तो ये आय ब्लॉग के दुनिया
बोलथे तूती ओखरे जेखर गड़े हे इहाँ झंडा
नवा नवा दुकानदार के कारोबार
शुरू माँ रथे ठंडा ठंडा
(३)
अपन अपन मठ ले संगी, बड़े बड़े स्वामी मन गरियाथें
कोन काखर बर काय कहत हे तेला
जासूसी कर सोरियाथे
(४)
ये सब करे के जरूरत नई ये, गुरतुर बोली, ज्ञान के बानी,
लिखौ गीत गजल कहानी
नवा चेला ल बने पाठ पढ़ावौ
उंखर बने हौसला बढ़ावौ
पाहौ चीज इहाँ आनी बानी .
जय जोहार.......
3 टिप्पणियां:
जय जोहार.......अबड़ सुघर गोठ
आ जा आ जा आ जा आ जा
बने डफ़ड़ा बजा जा बजा जा जा
तैं भाखा बानी के रा जा रा जा
उत्ता धुर्रा बजा जा बजा जा जा
जोहार ले
ये दे हमर डॉक्टर साहेब घला टि्पिया दिस
अक्ति तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई
अपन अपन मठ ले संगी, बड़े बड़े स्वामी मन गरियाथें
कोन काखर बर काय कहत हे तेला
जासूसी कर सोरियाथे
.... बहुत खूब !!!
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