क्या बात है, जान-बूझ कर नहीं है, पर देख रहा हूँ "उमड़त घुमड़त विचार" का गत दिनों लिख़ा गया प्रत्येक पोस्ट (तीन पोस्ट में लगातार) पांच-पांच टिपण्णी पाने वाला बना है. संयोग से ही सही. अरे हाँ अब कहाँ सुनने को मिलता है पहाड़ा. अब तो बच्चों को नर्सरी से काउंटिंग, पहाड़े के नाम पर "टेबल" चलता है. पहले पहाड़ा याद करने के अलग अलग सलीके होते थे मसलन (हमारी छत्तीसगढ़ी बोली में) के निया पीठ जोरी के जोरा? जवाब हाजिर चार निया पीठ जोरी के जोरा. गौर फरमाएं; चार नवाम छत्तीस = ३६ याने तीन और छः दोनों की पीठ जुड़ रही है. इसी प्रकार: " के निया चुल्हा मा लकड़ी" ? उत्तर मिलता "नौ निया चूल्हा माँ लकड़ी" देखिये कैसे: नौ नवाम इक्यासी = ८१; आठ हो गया चूल्हा और एक जो है चूल्हे में घुस रही लकड़ी. ऐसे ही चार नवाम का उल्टा सात नवाम ले लीजिये:- के निया मुंह जोरी के जोरा? उत्तर हाजिर सात निया मुह जोरी के जोरा. बिलकुल सही:- सात नवाम तिरसठ = ६३ छः और तीन दोनों के मुंह जुड़ रहे हैं. पौवा, अद्धा, सवैया, डेढ़ा सब रटाया जाता था. ठीक है भाई अब तो विज्ञान व तकनालोजी ने बहुत प्रगति कर ली है. नो मेन्युअल वर्क. कंप्यूटर है, केलकुलेटर है ..... अब तो कापी किताब की भी जरूरत नहीं है. देखिये न हमही खुद ब्लोगवा में टकाटक कर रहे हैं....... अचानक ही विचार उमड़ गया लिख बैठे.
जय जोहार........
10 टिप्पणियां:
acchaa digital/numerical aankadaa banayaa hai aapne.bahut acchaa.aabhaar
तीन चंउक बारा-चल बेटा ब्यारा
नौ दुनी अठारा-ये दे आगे सारा
जयो हो बने लिखे हस
आज पांच ले आंकड़ा पार हो जाही
गने के संसो को छोड़ो पार्थ
अउ कुरुक्षेत्र में डटे रहो अड़े रहो
ये दे होगे पांच-मै कहत हंव सांच
महु टिप्पणी ठोक डारेव। अब कल झन बोलबे कि 6 के पहाड़ा शुरू हो गे।
पढने में थोड़ी दिक्कत आई ...बचपन से गणित में कमजोर जो ठहरे ....पर सच्ची बात कही दी आपने .....अच्छा लेख
... राम राम भाई ...!!!
... जय जोहार ...!!!
... जय जय छत्तीसगढ !!!
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