विकासशील(विनाशशील*) देश करने लगते हैं
नक़ल विकसित देशों की संस्कृति की
मसलन नाईट पार्टी, डेटिंग, जश्न का जोश
सुरा सुंदरी के संग
हर रोज होता है कुछ न कुछ 'डे'
मदर्स डे, फादर्स डे वैगरह वैगरह
कुछ इस तरह है इनके रहन सहन का ढंग.
वतन छोड़ जाते हैं
बस जाते हैं पाश्चात्य देशों में
अंग्रेजी का शब्द 'फॉरेन' बन गया है पर्याय
अमेरिका, कनाडा, जर्मनी
ऑस्ट्रेलिया आदि देशों का
रहने लगे हैं जहाँ इस देश के
हर कोने के बासिन्दे
लौटते हैं ये अप्रवासी नागरिक
अपने वतन को, बजाते हैं डफली
'फॉरेन' की सड़कों का, यातायात
के नियमों के पालन में कड़ाई का
क्यों नहीं कर पाते
हम इन चीजों का अनुसरण
नियमों की लापरवाही
रेलम पेल आवाजाही
हर दिन दुर्घटना,
किसी न किसी का मरण
कोसते हैं सरकार को
फिफ्टी फिफ्टी.........
अरे अरे ज्यादा हो गया
चलो फोर्टी सिक्सटी के
सौदे पर काम कर रहे ठेकेदार को
अभी अभी नयी सड़क बनाई गयी है
सड़क तो तब्दील हो गयी है
देहातों में चलने वाले बैलगाड़ी के "मार्ग" में
क्या करें फिर भी चलना पड़ता है
नही रहता मालूम कब किसकी शामत आ जाय
कुछ अपनी खामियों की ओर नजर डालें
यातायात के नियमों के मुताबिक
निर्धारित है अलग अलग माल वाहक गाड़ियों की
भार वहन करने की क्षमता
यात्री गाड़ी में यात्रियों की संख्या का पैमाना
स्वतन्त्र हैं..... ना..ना ...... स्वछंद हैं
कितनो ने इसे अपनाया कितनो ने माना?
आ गया है क्या जमाना.
(इस देश को क्या कहेंगे? विनाशशील या बिनास शील ? अभी तो रोज की घटनाओं दुर्घटनाओं को देखकर लगता है क्या ज़िन्दगी है. आतंकवाद. उग्रवाद नक्सलवाद आदि आदि से निपटते निपटते कई निपट गए. जहाँ देखो तबाही मंची हुई है
ऐसा कौन सा दिन है इन चीजों की खबरों से समाचार पत्र नहीं सना रहता. कह सकते हैं ना बिनासशील देश???
जय जोहार .....
11 टिप्पणियां:
विचारणीय बात कही है इस रचना में ...
आ गया है क्या जमाना.
-आशा पर आसमान टिका है...कभी तो दुरुस्त होगा मामला.
उलट पुलट भए संसारा
जम्मो के हे बजगे बारा
जय जोहार
बढिया रचना भाई साहब!
है बातों में दम.
धन्यवाद भाई साहब.
अभी तो और भी बुरे दिन आने है............पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त !!
जय जोहार !!
विचारणीय बात ....आ गया है क्या जमाना.
उम्दा पोस्ट
सही कहा……………आ गया है क्या ज़माना।
... behatareen !!!
हर रात की सुबह है जी ..उम्मीद पर दुनिया कायम है ..कभी तो बदलेगा नजारा.
विचारणीय पोस्ट .
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