मैंने कुछ दिन पहले एक पोस्ट लिख़ा था "तवा गरम है सेंक लो रोटी". अभी अभी पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़े हैं. इन इंधनों का दाम बढ़ना नेताओं के चूल्हों में और आंच पैदा करने वाले इंधन का काम कर रहा है. मसलन आज विपक्षियों का एकजुट होकर धरना प्रदर्शन करना. अमूमन सत्ता और विपक्ष के बीच का यह खेल नया नहीं है. काफी पुराना है. जो कुर्सी पर काबिज रहेगा उसे विपक्ष की ऐसी हरक़तों का सामना करना पड़ेगा. पिसेगी आम जनता. आज का भारत बंद भी कुछ ऐसा ही रहा. स्वस्फूर्त कोई बंद या प्रदर्शन के लिए राजी नहीं होता. बलपूर्वक राजी करवाया जाता है. कोई पार्टी विशेष की बात नहीं है. होता कुछ यूँ है;
बंद या प्रदर्शन, है हर पार्टियों के
गरम तवे में रोटी सेंकने के पुराने हथकंडे
क्योंकि सभी नेता हैं एक ही थैली के चट्टे बट्टे
समर्थन इन्हें मिलता नहीं है, पाते हैं समर्थन
डरा धमका कर, क्योंकि इनके गुर्गों के पास होते हैं
किसम किसम के देशी विदेशी कट्टे
जय जोहार....
5 टिप्पणियां:
सुन्दर लेखन।
बिलकुल सही कहा!
जय जोहार....
बंद या प्रदर्शन हैं;हर पार्टियों के
गरम तवे में रोटी सेंकने के पुराने हथकंडे
क्योंकि सभी नेता हैं एक ही थैली के चट्टे बट्टे
........bilkul satik baat.
एक दम सटीक
सच कहा पिसेगी आम जनता ही ...उम्दा लेखन .
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