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गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

गमछा के गुन

गमछा के गुन

गुन गमछा के जान लौ, ढाँकै पोंछै देह।
बात इहू सब मान लौ, रखथें नेता नेह।।
रखथें नेता नेह, चिन्हारी गमछा डारे।
माँगे बर जी वोट, फिरैं उन हाथ पसारे।।
होंय न नेता आज, देख लौ बिन चमचा के ।

ढाँकै पोछै देह जान लौ गुन गमछा के।।

जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग

चाय-कॉफी



चाय-कॉफी 

कॉफी सँग सँग चाय के , चलन चलै पुरजोर।
चिटिकुन फुरती लाय के, इही आसरा मोर।।
इही आसरा मोर, रहय कैफीन निकोटिन।
सुस्ती भागै थोर, मँहूँ अजमाएँव थोकिन।।
गति अति के नादान, जान लौ मिलै न माफी।
कहना लौ सब मान, सम्हल के पीयौ कॉफी।।

जय जोहार...
सिधिया नगर दुर्ग...
(चित्र गूगल से साभार)

दारू




दारू 
(1)
पीहीं दारू चाय कस, जब पाहीं तब जान।
पी लेहीं कँहु अकतहा, गिरहीं फेर उतान।।
गिरहीं फेर उतान, जघा के कहाँ ठिकाना।
बुढ़वा होय जवान, जान लौ मंद दिवाना।। 
मारत हे सरकार, आदमी कइसे जीहीं।
आदत से लाचार, चाय कस दारू पीहीं।।
(2)
बेंचँय बेचावय बेचात हवै मरे जियो, 
जघा जघा दारू देख लव खुले आम जी ।
बंद होय कारोबार मंद के कहत माई, 
करत विरोध दिन रात सुबह शाम जी।।
बेचे बर सरकार खुदे हवै तइयार, 
एमा अब कइसे कब कसही लगाम जी।
पीहीं अउ पियाहीं घलो होली के तिहार मा गा,
परय चुकाय बर चाहे कतको दाम जी।।


जय जोहार भाई..
सिंधिया नगर दुर्ग


मतदाता का मोल

मतदाता का मोल
मतदाता का मोल तो, दारू कंबल नोट।
इतने में ही बिक रहे, बेशकीमती वोट।
बेशकीमती वोट,आज की बात नही है।
संसद ऐसी चोट, आदि से खात रही है।।
रहें न आज सपूत, कोइ भारत माता का।
दारू कंबल नोट मोल तो मतदाता का।।

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जय जोहार ...
सिंधिया नगर दुर्ग