आईए मन की गति से उमड़त-घुमड़ते विचारों के दांव-पेंचों की इस नई दुनिया मे आपका स्वागत है-कृपया टिप्पणी करना ना भुलें-आपकी टिप्पणी से हमारा उत्साह बढता है

रविवार, 9 जुलाई 2017

आँचल

                    आँचल

माँ का आँचल ढाँकता, बेटे का हर दोष।
कितनी भी हो गलतियाँ, उपजे कभी न रोष।।
उपजे कभी न रोष, प्रेम की सरिता बहती।
ममता अपरंपार, कष्ट वह सब कुछ सहती।।
वृद्ध आश्रम आज, पुकारत कहता आ चल।
क्यों जाते हम भूल, मातृ ममता का आँचल।।

जय जोहार....

सूर्यकान्त गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)

3 टिप्‍पणियां:

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

अति सुन्दर

pushpendra dwivedi ने कहा…

bahut khoob behtareen rachna


http://www.pushpendradwivedi.com/%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE/

Daisy ने कहा…

Send online holi gifts to India
Order Birthday Gifts Online Delivery in India
Online Cakes Delivery in India
Online Gifts Delivery in India
Order Birthday Gifts Online Delivery in India