(१)
जनरली 'तन्हाई' किसी की 'चाहत'
के दूर होने का नाम है
और देखा जाता है
'तन्हाई' का राग अलापना
प्रेमी या प्रेमिका का काम है.
(२)
आज की 'तन्हाई' में
कहाँ है राधा का कन्हाई वाला
निश्छल औ नि:स्वार्थ प्रेम
शायद 'प्रेम' बदल गया है 'प्यार' में
जिस्मानी चाहत देखी जाती है अपने यार में
(३)
आज अनुभव हुआ घर में
हमने किया इस बात पे गौर
हम दोनों के रहते हुए भी
तन्हाई का आलम है
बच्चे चले गए हैं पढ़ाई की खातिर
अपने अपने ठौर
(४)
अचानक दिखाई पड़ने लगा
बुढ़ापे की जिंदगी का नजारा
बेटी ब्याह दी जायेगी,
बिदाई का वह क्षण होगा दिल पे
पत्थर रख बिदा कर दी जावेगी बिटिया
'ससुराल' होगा उसका 'घर'
बाबुल का घर कहलावेगा
उसका 'मायका' या 'पीहर'
(४)
बेटे की भी तालीम पूरी हो गई है
नौकरी भी मिल गयी है
खुशी है, ऊंचे ओहदे वाली नौकरी, अच्छी पगार
मगर यहाँ कहाँ, वह तो जा रहा है
सात समंदर पार.
(५)
बेटे की शादी के बाद नहीं रहेगी
इस बात की ग्यारेन्टी कि 'बहू' का सुख
उसकी सास भोग पाएगी
अरे बहू यहाँ क्यों रहेगी, जहाँ होगी बेटे की
नौकरी उसके साथ साथ जाएगी
(६)
दरअसल बेटा तो है राजस्थान कोटा में
बेटी चली गयी थी रायपुर
घर सूना सूना लग रहा था
हम दोनों के मन में लगे थे उपजने
कुछ यूं ही विचारों के सुर
और इन विचारों के चलते हमने जाना भाई
प्रेमी या प्रेमिका का विरह ही नहीं,
भरे पूरे परिवार में, किसी की भी गैर हाजिरी
पैदा कर देती है 'तन्हाई'
.......जय जोहार
3 टिप्पणियां:
भावुक कर दिया आपने !
जय जोहार !
भरे पूरे परिवार में, किसी की भी गैर हाजिरी
पैदा कर देती है 'तन्हाई'
.....bahut sundar kavita...tanhai kaa sahi pratibimb.
इस कविता में बहुत बेहतर, बहुत गहरे स्तर पर एक बहुत ही छुपी हुई करुणा और गम्भीरता है।
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