संविधान बने इकसठ साल हो रहे हैं; देश के प्रथम नागरिक द्वारा विदेश से पधारे राष्ट्राध्यक्ष अथवा ऊंचे ओहदे वाले, के मुख्य आतिथ्य में लाल किले में ध्वजारोहण, तिरंगे को सलामी,चाहे देश के प्रहरी जाबांजो के हैरत अंगेज प्रदर्शन हों या छात्र छात्राओं द्वारा पेश किये जा रहे रंगारंग कार्यक्रम और देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये कलाकारों द्वारा निकाली जा रही मनमोहक झांकियां , इन सबका आनंद लेना और इस प्रकार गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम संपन्न. कुछ इसी तरह के कार्यक्रम प्रान्तों के मुखियाओं द्वारा, गाँव कसबे में वहाँ के मुखिया द्वारा, अपने अपने प्रान्तों में सम्पन्न कराना . स्कूलों विभिन्न संस्थाओं में वहां के मुखिया के द्वारा, इसी प्रकार अन्य छोटी छोटी संस्थाओं द्वारा भी गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम संस्था प्रमुख द्वारा सम्पन्न किया जाना. किन्तु क्या हमने कभी ध्यान दिया है????........
संविधान की रचना रचे, हो रहे इकसठ साल
गर करें कानून की कद्र सभी, क्यों मचे यहाँ बवाल
पर क्या करें
इस पुनीत अवसर पर, मात्र औपचारिकता पूरी कर जाते हैं
संबिधान का विधान हम कितना निभा पाते हैं
यह सोचना केवल नेताओं का ही नहीं, हम सबका काम है
यदि हो गए हम जागरूक, देखें होता कहाँ कत्ले आम है.
पुनः गणतंत्र दिवस की सभी मित्रों को, बहुत बहुत शुभकामनाएं
शुभ रात्रि, नमस्कार जय जोहार.
2 टिप्पणियां:
26जनवरी तिहार के जम्मो ला गाड़ा-गाड़ा बधई,
यह विचार ज़िन्दा रहे । शुभकामनायें ।
एक टिप्पणी भेजें