विद्या ददाति विनयम विनयाद याति पात्रताम
पात्रात्वात धन्माप्नोति धनाद धर्म ततः सुखम
सरल शब्दों में उक्त स्त्रोत का अर्थ शायद "विद्या से विनय, विनय से धनार्जन की पात्रता और धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है. उपरोक्त संस्कृत की सूक्ति पर वार्तालाप चल रहा था कि " क्या धन के बिना प्राप्त धर्म से सुख प्राप्त नहीं होता. क्या धन प्राप्त होने पर ही धर्म का पालन होगा आदि आदि. मेरे विचार से कोई भी सूक्ति बनती है तो उसका उद्द्येश्य गलत नहीं होता. लोग उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि धन तो झगड़े की जड़ है. बिलकुल सत्य है किन्तु किस प्रकार का धन? अपनी जीविकोपार्जन के लिए परिश्रम, बुद्धि के बलबूते से प्राप्त अथवा चोरी डकैती व अन्य अनुचित साधनों के दवारा प्राप्त. श्लोक में लिखी पंक्तियों का अभिप्राय " चोरी डकैती व अन्य अनुचित साधनों के दवारा प्राप्त" कतई नही होगा. किसी भी ग्रन्थ में, शास्त्र में विद्वजनो द्वारा एक ही विषय पर विरोधाभाषी विचार प्रकट किये जा सकते हैं किन्तु इसका अर्थ यह कदापि नहीं लेना चाहिए कि दोनों ही गलत हैं अथवा एक गलत है. हो सकता है भिन्न भिन्न विचारधारा देश काल परिस्थिति को देखते हुए बनी हो. यह तो हुई सूक्तियों की व्याख्या की बात.
नवम्बर का महीना चल रहा है. कहने को तो शीत ऋतु है पर नवम्बर में अम्बर की ओर सिर उठा के देखते हैं, पता चलता है बदली छाई है, बारिश हो रही है. जरा भी धूप निकली तो गर्मी से लोग हलाकान. मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों में से इन पंक्तियों को लिखने से अपने आपको नहीं रोक पाया;
नवम्बर का महीना चल रहा है. कहने को तो शीत ऋतु है पर नवम्बर में अम्बर की ओर सिर उठा के देखते हैं, पता चलता है बदली छाई है, बारिश हो रही है. जरा भी धूप निकली तो गर्मी से लोग हलाकान. मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों में से इन पंक्तियों को लिखने से अपने आपको नहीं रोक पाया;
कार्तिक माह की हो रही रवानगी
शीतलता का एहसास नहीं
होता देख खिलवाड़ "प्रकृति" संग
क्रूर होती "प्रकृति" का हमें जरा भी आभास नहीं
मालूम है यह कलयुग है, कलपुर्जों का रहेगा जोर
वन-उपवन उजड़ने लगे हैं, ध्वनि धूल धुंआ विसरित चहुँ ओर
कर प्रयास रोकें वन की कटाई, वृक्षारोपण बढ़ाना है
पर्यावरण बचाना है जलवायु-संतुलन लाना है
जय जोहार..........
8 टिप्पणियां:
paryavaran ko bachane ka samyik sandesh
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-परिवार
संदेशात्मक पोस्ट ..
bane bane.
aap ka sandesh its v nice
सार्थक सन्देश देती रचना के लिये बधाई।
बहुत प्रेरणादायी बातें है .देव तो जाग गए , इन्सान कब जागेंगें ?
The word Dhanam is connoted with evils acquisition which is not correct. Dhana has to be related with a Shakti to be given or shared. Dhanamagnir dhanam vayuh dhanam suryo dhanam basin; Dhanamindro Brihaspathir Varunam Dhanamasnuthe... SREE Suktam has given this Definition of Dhanam being all pervasive Panchayat Bhutha and Asta Dikpalaka Samana sthiti there fore Wealth or Dhana has to be considered to be Pious.
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