तगड़ा सुरक्षा कवच
अभी अभी हम पढ़ रहे थे ब्लॉगर मित्रों के वे पोस्ट जिन्हें ब्लॉग फॉर वार्ता में शामिल किया गया है। रचना पढ़ने के बाद मेरी आदत है जहां तक मेरे मन में कुछ भाव उमड़ते हैं उन्हें टिपण्णी के रूप में प्रकट करने से नहीं रोक पाता। आज आदरणीया संगीता पुरी जी द्वारा भारत वर्ष के विभिन्न प्रान्तों में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला पर्व "करवा चौथ" के बारे में ब्लॉगर मित्र/मित्राणियों द्वारा लिखे विचारों को ब्लॉग फॉर वार्ता में रखा गया है। हमने भी एक पोस्ट पढ़ा। जब टिपण्णी लिखने की बारी आई तो हम टिपण्णी प्रकाशन के लिए लगे सुरक्षा कवच को बेध नहीं पाए। कहीं रोबोट तो नहीं हैं यह जांचने के लिए कुछ शब्दों को मुद्रित करने कहा जाता है। तीन-चार बार प्रयत्न किये। सफल नहीं हो पाए। चलिए कोई बात नहीं, सुरक्षा कवच तगड़ा होना ही चाहिए। वैसे कई रचनाओं में टिपण्णी देते वक्त यह लिखा मिलता है "आपकी टिपण्णी सहेज दी गई है, रचनाकार द्वारा अनुमति दिए जाने पर प्रकाशित कर दी जायेगी" यह हमें ठीक लगा।
जोर जबरदस्ती के कारण नहीं, आस्था और श्रद्धा के साथ वास्तविक पति-प्रेम का प्रतीक पर्व "करवा-चौथ" मनाने वाली समस्त सुहागिनों को हार्दिक बधाई। हमारे छत्तीसगढ़ में इस पर्व के बजाय "हरतालिका व्रत" को ज्यादा प्रधानता देते हैं।
जय जोहार .....
2 टिप्पणियां:
'वर्ड वेरिफिकेशन' के कारण टिप्पणी करने में बहुत दिक्कतें आती हैं .. खासकर हमें इसलिए कि बार बार फॉण्ट भी बदलना पडता है .. वर्ड वेरिफिकेशन के कारण पाठकों के विचार चिट्ठाकारों को नहीं मिल पाते .. पर नए चिट्ठाकारों को इस बात कि जानकारी नहीं .. डिफॉल्ट सेटिंग ऐसी ही रहती है .. उसे बदलना पडता है ..
फार्मूला नम्बर ४३ के इस्तेमाल करे ले जम्मो ब्लाग मा टिप्पणी हो जथे ........... राम राम जोहार ले
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