कौन काटना चाहता है किससे कन्नी
तब तक आता नही समझ,
जब तक कोई देता ही नहीं रिस्पांस चवन्नी
हमें उक्त पंक्तियाँ लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि चेहरा-ए-किताब (फेस-बुक) में हमने अपने दो मित्रों को चेटिंग के माध्यम से संपर्क करना चाहा। वे ऑनलाइन दिख रहे थे। केवल नमस्कार लिखा था सोचा कम से कम प्रतिक्रिया तो मिलेगी .....मगर .....जयरामजी की। खैर! अपने में ही बड़ी खामी होगी। पर अपनी खामी स्वतः को दिखती कहां है? चलिए कभी न कभी समझ में आवेगी बात; आखिर लोग हमसे कन्नी क्यों काटने लगे हैं। मन हो जाता है थोड़ा अशांत। अतएव कल ही हमने (जैसा कि आजकल थोक के भाव में सूक्तियां/उपाय/सूत्र उपलब्ध हैं)एक जगह लिखा पाया "मन को शांत रखने के 10 सूत्र"। हमें लगा यहाँ भी छाप दें। कृपया आप भी पढ़ें;
1. किसी काम में तब तक दखल न दें जब तक कि आपसे पूछा न जाय:- लगता है इसका पालन कड़ाई से हो रहा है तभी यहाँ तक कि प्रतिक्रिया देने का भी समय नहीं है लोगों के पास।
2. माफ़ करना और कुछ बातों को भूलना सीखें:- जरूर अमल में लाने का प्रयास करेंगे।
3. पहचान पाने की लालसा न रखें:-
यह भी अनुकरणीय। बिलकुल सही! अपनी पहचान बनानी है तो पहले प्रभु को पहचान, छोड़ आन बान दर्प और शान; फिर देख कौन, क्यूं और कैसे कर सकता है तुझको परेशान। मत हो दुखी; कर जनहित/परहित ऐसा काम कि लोग भले जाने न तेरा नाम बसा लें तेरी तस्वीर अपने दिलों में आम। (भाई ये हमने स्वतः के लिए लिखा है ...)
4. जलन की भावना से बचें:- अनुकरणीय।
5. रोजाना ध्यान करें .....
6. खुद को माहौल में ढालने की चेष्टा करें
7. जो कभी बदल नहीं सकता उसे सहना सीखें
8. किसी भी काम को टालें नहीं और ऐसा कोई काम न करें जिससे बाद में आपको पछताना पड़े।
9. उतना ही काटें जितना चबा सकें अर्थात उतना ही काम हाथ में लें जितना पूरा करने की
क्षमता हो।
10. दिमाग को खाली न रहने दें
देखते हैं, कितना प्रतिशत हम अमल में ला पाते हैं .........
जय जोहार !!!!
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