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रविवार, 17 अक्तूबर 2010

"काम क्रोध मद लोभ सब, नाथ नरक के पंथ 
सब परिहरि रघुबीरही भजहु भजहि जेहि संत"
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं 

3 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


नेट चालु होगे हे त चलन दे धकाधक छपई
दशेला तिहार के जम्मो भाई-भौजी मन ला
गाड़ा गाड़ा बधई:)

दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥
विजयादशमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

काव्यशास्त्र

कडुवासच ने कहा…

... badhaai va shubhakaamanaayen !