आजकल हमारा मन जड़ हो चुका है. वर्ष 2010 स्थानान्तरण का रहा. सर्वप्रथम अपना डेरा बदले. डेरा बदलकर नए डेरे को जमाने में जो किल्लत होती है उसका अनुभव सभी को होगा, उन किल्लतों को झेले. ठीक है डेरा तो जम गया. डेरा जमे चंद दिन ही हुए थे कि कर्तव्य-स्थल भी बदल गया. याने नागपुर स्थानान्तरण. त्योहारों का सिलसिला प्रारम्भ हुआ. दीपावली के समय रिश्तेदारों व मित्रों के बीच शुभकामनाओं का आदान प्रदान भी चला. किन्तु पर्व के दौरान ही हमारे प्रिय कुछ ब्लॉगर मित्रों के घर दिए नहीं जल पाए. कारण; किन्ही के माता/पिता का देहावसान होना, कहीं घटनाओं दुर्घटनाओं का अनवरत जारी रहना आदि आदि. इन सब बातों से मन खिन्न हो गया था. और ज्यादा खिन्न इसलिए भी हुआ कि अपने आपको निष्ठुर पाया यहाँ तक कि संवेदना भी प्रकट न कर सका. नागपुर यात्रा जारी है. घर में साप्ताहिक आना होता है. आज बैठे बैठे अपने मौन को भाई ललित शर्मा जी से घंटों फोनवा में बतियाकर तोड़ा. नव वर्ष के प्राम्भ में उनके द्वारा लिखी गई रचना "नव वर्ष का धमाल--देवी आम्रपाली के सप्तप्रासाद में "पढ़कर ( कुछ कुछ शब्द भले ही सर से चले गए वैसे भाई ललित से पूछ कर अर्थ समझ लिया) खूब हंसा और सोचा काफी दिनों से संगणक (कंप्यूटर) के कुंजी पटल पर अंगुलियाँ नृत्य नहीं की हैं उन्हें जरा नचाया जाय. अतएव लिखने बैठ गया.
अभी जनवरी का महीना ख़तम नहीं हुआ है
यह साल, यह साल ही क्यों,
हर साल रहे खुशहाल आपका
मांगता आपका यह नाचीज मित्र
अल्लाह /भगवान् /गुरुग्रंथ साहिब
और GOD से यही दुआ है
.........नव वर्ष की मंगलकामनाओं सहित
.........नव वर्ष की मंगलकामनाओं सहित
जय जोहार ......
3 टिप्पणियां:
नव वर्ष आपके और आपके परिवार में भी सब के लिए मंगलकारी हो !
आज काफी दिनों के बाद आपकी पोस्ट देख अच्छा लगा और हाँ .. ललित भाई का बहुत बहुत आभार !
जय जोहार !
नव वर्ष की शुभकामनायें ...
शुभकामनाएं।
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