धरती पर अवतरित होते ही प्रारम्भ हो जाती है यात्रा
सुख दुःख का मिश्रण होता है बदलती रहती है मात्रा
यदा कदा अति कष्ट में कहते प्रत्यक्ष- परोक्ष
हे भगवान् उबार ले, दिला दे जल्दी मोक्ष.
(2)
शासकीय सेवा में अधिकारी के प्रमुख हथियारों में प्रचलित
सहज, सरल 'ट्रान्सफर' के हम भी हुए शिकार
पदोन्नति पर नागपुर में तैनाती,
दूर न लगे हमें यार
(3)
प्रति शुक्रवार की शाम को पहुँचते रेलवे स्टेशन
दुर्लभ होता मिलना, कम दूरी का रिजर्वेशन
प्लेटफ़ॉर्म में चहलकदमी करते दिख जाते
काले कोट वाले चल-टिकट-परीक्षक
बेसहारा 'मांगीलाल' सरीखे
हमारी भी नजर जाती उन पर अटक
हमारी भी नजर जाती उन पर अटक
अनुनय विनय कर धीरे से
'सामान्य टिकट' के नीचे
हरे/कत्थे रंग की पाती रख उन्हें दिखाते
तब कहीं 'सीट' मिल पाती, सफ़र सहज कर पाते
मित्रों, यह तो रहा 'रेल' का, इक छोटा सा 'रोल'
अभी कछु नहीं सूझ रहा...बस 'हरि' 'हरि' बोल
मित्रों यात्रा विवरण जारी रहेगा. इस 'तुकबंदी' का स्वाद घरवालों को भी चखा दिया गया है. यात्रा के दौरान चाहे घराड़ी से हो या बच्चों से चलित दूरभाष में उपलब्ध 'सन्देश प्रेषण' सुविधा का उपयोग करते हुए इसी प्रकार 'तुकबंदी' में वार्ता कर लेते हैं. बिटिया भी इसका उत्तर तुकबंदी में देने का प्रयास करती है. भले ही कविता को पोएट्री कहती है. उस पोएट्री में 'आंग्ल भाषा' के शब्दों का भी समावेश किया जाता है . देखेंगे इसका नमूना ............अगले सोपान में............आप लोग.
'सामान्य टिकट' के नीचे
हरे/कत्थे रंग की पाती रख उन्हें दिखाते
तब कहीं 'सीट' मिल पाती, सफ़र सहज कर पाते
मित्रों, यह तो रहा 'रेल' का, इक छोटा सा 'रोल'
अभी कछु नहीं सूझ रहा...बस 'हरि' 'हरि' बोल
मित्रों यात्रा विवरण जारी रहेगा. इस 'तुकबंदी' का स्वाद घरवालों को भी चखा दिया गया है. यात्रा के दौरान चाहे घराड़ी से हो या बच्चों से चलित दूरभाष में उपलब्ध 'सन्देश प्रेषण' सुविधा का उपयोग करते हुए इसी प्रकार 'तुकबंदी' में वार्ता कर लेते हैं. बिटिया भी इसका उत्तर तुकबंदी में देने का प्रयास करती है. भले ही कविता को पोएट्री कहती है. उस पोएट्री में 'आंग्ल भाषा' के शब्दों का भी समावेश किया जाता है . देखेंगे इसका नमूना ............अगले सोपान में............आप लोग.
जय जोहार......
4 टिप्पणियां:
यह सत्य है कि जीवन भी एक यात्रा है और इस यात्रा में हम अलग अलग अनुभवों से गुजरते हैं ...
लाजवाब प्रस्तुति
http://aghorupanishad.blogspot.com
भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
मन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!
शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
सूचनार्थ
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