धन्य है हमारा देश!
भिन्न भिन्न बोली
भिन्न भिन्न भाषा
हर का पृथक पृथक परिवेश
कब तक बनी रहेगी "बेचारी"
पाकर भी राजभाषा का दर्जा
सोचती है; कम से कम याद
तो करते हो, पखवाड़ा ही सही
परिपाटी चलने दो,
इसमें कछु नहीं है हर्जा
जय जोहार ........
3 टिप्पणियां:
सुन्दर उमड़त धुमड़त विचार... हिंदी दिवस की शुभकामनायें....
चलन दे गाड़ा उत्ता धुर्रा
सुकारो दाई के लाई मुर्रा
हिन्दी हिन्दी जै जै होवे
बाजत रहाय सूपली पर्रा
जय जोहार
बनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राज
माता की यह बेबसी , बेटे धोखेबाज |
जय जोहार
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