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रविवार, 7 अक्तूबर 2012

साबुन अउ शेम्पू लगा के नहाये

साबुन अउ शेम्पू लगा के नहाये 
घूमे एती ओती टुरी चूंदी ला छरियाये
तभो ले चूंदी अरझैच नहीं
गोठियावै काखरो मेरन, कोनो ओरझेच नहीं
काबर के मुह कान जम्मो रथे गमछा भीतर
गोठियाने वाला सोचथे, मारत हौं तीतर  
करलई हे इही बात के ददा अउ दाई ला
कउन आय बहिनी नइ चिन्हावै भाई ला
संगे संग काम करथें टुरी-टूरा तहां हो जथे पियार
दाई ददा ल कथें अपन मन ल मार डार
बदल गे हे अब के सब रीति रिवाज
झुका देथे माँ बाप ल इंखर मिजाज
दुनो के परिवार माँ यदि माड़ जथे जोंगा
बाजे लगथे गुदुम बाजा(आज के डीजे), लमा के चोंगा
अउ बिगड़ गे बात, तभो इन ल नई ये कौनो बात के फिकर 
जुग बदल गे हे कायच कर लेबे, अउ कतेक करबे,
अइसन बात के जिकर.......
जय जोहार............... 
एती-ओती = इधर-उधर। चुंदी = बाल, केश। छारियाये=बिखेरे। अरझैच नहीं= बाल उलझता नहीं।
गोठियावै काखरो मेरन = किसी के साथ भी बात कर रहे हों। कोनो ओरझेच नही = इन से कोई नही लगता(उलझता). काबर के = क्योंकि। मुह कान जम्मो = मुह कान सभी (पूरा चेहरा). गमझा = साफा या स्कार्फ। मारत हौं तीतर = याने तीतर मार रहा हूँ। करलई हे = अफ़सोस है। ददा दाई = माँ बाप। नई चिन्हावै = पहचान नहीं आते। टुरी-टुरा = लड़का लड़की। माड़ जथे जोंगा = बात बन जाती है। कायच कर लेबे = क्या कर सकते हैं। कतेक कर लेबे = कितना कर सकते हैं। 
अइसन बात के = इस प्रकार की बातों का।

2 टिप्‍पणियां:

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

उमर हे , जीयन खावन दे
थोथना ला झन ओरमावन दे |
जुर जाही नाता नेंग कभू
मुसकावन दे ,जोजियावन दे |

तोला संसो कोन बात के हे
गमछा मा मुहूँ लुकावन दे |
उन मया करें के मँजा करें
तयँ आँखी का सुस्तावन दे |

चिट्ठी पतरी के दिन पूरिस
मोबाइल मा गोठियावन दे |
अधरतिहा तक ले जाग जाग
कम्पूटर मा चेटियावन दे |

जोहार ले ...............

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

ARUN BHAIYA AAPKI TIPPANI KE LIYE DHANYAVAAD