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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

कद रावन का बढ़ता जाय


मन का रावन मारें पहले
पुतला बाद में लियो जलाय
 देखत जग हर साल नज़ारा 
 कद रावन का बढ़ता जाय
रावन  मारन रावन  आवें 
रामचंद की जय बुलवाय
 था रावन  पंडित बड़ ग्यानी 
   नीत कुनीत का गुर लछमन को 
 आखिर क्षण में दियो बताय
  कलजुग-रावण राज करत हैं 
   मति जनता का नित भरमाय
   बिनती "सूरज" की जन जन से
  ताक़त अपनी दियो बताय
   करें न घोटाला होय न हवाला
     अरु गरीब का छिने न निवाला  
      मार काट सब बंद होइ जाय
......जय जोहार 
विजयादशमी के पावन पर्व में आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं  

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