मन का रावन मारें पहले
पुतला बाद में लियो जलाय
देखत जग हर साल नज़ारा
कद रावन का बढ़ता जाय
रावन मारन रावन आवें
रामचंद की जय बुलवाय
था रावन पंडित बड़ ग्यानी
नीत कुनीत का गुर लछमन को
आखिर क्षण में दियो बताय
कलजुग-रावण राज करत हैं
मति जनता का नित भरमाय
बिनती "सूरज" की जन जन से
ताक़त अपनी दियो बताय
करें न घोटाला होय न हवाला
अरु गरीब का छिने न निवाला
मार काट सब बंद होइ जाय
......जय जोहार
विजयादशमी के पावन पर्व में आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
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