देखते पढ़ते हर पोस्ट चेहरा-ए-किताब में
उमड़ते घुमड़ते भावों को, उकेरते हैं ख़्वाब में
राजनीति से नीति हटी, बच गया केवल राज
घुट घुट जन जो जी रहा रास न आया काज
मंहगाई, कितनी बढ़ रही, कौन हरे गरीब की पीड़ा
पिशाच "भ्रष्टाचार" हनन का का कौन उठावेगा बीड़ा
"शक्ति"-साधना दिवस "नवरात्रि" होगी सोलह (अक्टोबर) से प्रारम्भ
सोचूं, हत होगा "भ्रष्टाचार" भी, संग संग शुम्भ-निशुम्भ
नौ दिन का त्यौहार "नवरात्रि" रख संयम सभी मनावें
विश्व शान्ति की करें कामना, माँ को श्रद्धा सुमन चढ़ावें
नवरात्रि की अग्रिम बधाई सहित
.............जय जोहार।।।।
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