आईए मन की गति से उमड़त-घुमड़ते विचारों के दांव-पेंचों की इस नई दुनिया मे आपका स्वागत है-कृपया टिप्पणी करना ना भुलें-आपकी टिप्पणी से हमारा उत्साह बढता है

शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

होती है "हार" हर हाल में पिशाच विषयासक्ति की

"नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिताः"
 "माँ सिद्धिदात्री" आप सबके कारज सिद्ध करें. बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित......
करते हैं उपासना "शक्ति" की, 
होती है परीक्षा "भक्ति" की
नवरात्रि रख नित स्वच्छ मन, 
श्रद्धा सहित साधक तू बन 
माँ के चरणों में कर खुद को  अर्पण, 
होगी माँ की कृपा तुझ पर 
परख अपना सामर्थ्य तू, 
होती है हार हर हाल में 
पिशाच विषयासक्ति की.....
"जय माँ दुर्गे"
पुनः नवमी एवं आने वाले पर्व "विजयादशमी" के पावन अवसर पर मेरे समस्त ब्लॉगर मित्रों को बहुत बहुत बधाई व अनेकों शुभकामनाएं
जय जोहार............

4 टिप्‍पणियां:

कडुवासच ने कहा…

... जय माता दी !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति !

विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई !!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट

बाल भवन जबलपुर ने कहा…


विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर