संविधान मे पारित
राजभाषा
बन नही पाई राष्ट्र भाषा
बेचारी हिंदी
भारत माँ के माथे की
अभागन बिंदी
दिला न पाई माँ
को सुहागन का दर्जा
धन्य हैं हम सपूत
असली हीरे की बिंदी छोड़
अमेरिकन डायमंड की बिंदी
माँ को भेंटकर सोचते हैं
सड़सठ बरस बीत गये
काम चल रहा है
कछु नहीं है हरजा.....e
राजभाषा
बन नही पाई राष्ट्र भाषा
बेचारी हिंदी
भारत माँ के माथे की
अभागन बिंदी
दिला न पाई माँ
को सुहागन का दर्जा
धन्य हैं हम सपूत
असली हीरे की बिंदी छोड़
अमेरिकन डायमंड की बिंदी
माँ को भेंटकर सोचते हैं
सड़सठ बरस बीत गये
काम चल रहा है
कछु नहीं है हरजा.....e
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