सब सूतथें त मोर बर बिहिनिया होथे. आनी बानी के गोठ हा दुनो दिमाग माँ घुमड़ थे. हमर देश हा तिहार के देश कहाथे. जम्मो धरम के तिहार बार मानथें. वैसे हमर सनातन धर्म माँ तिहार के कमी नई आय. फेर ये सब तिहार ले ऊपर उठके भाई हो सबले बड़े तिहार "चुनाव" के होथे. अभी झार खंड माँ चुनाव होईस. मध्यप्रदेश माँ होईस अउ छत्तीसगढ़ माँ स्थानीय निकाय मन के चुनाव आजे ख़तम होईस. लेकिन चुनाव घोषणा होए के बाद के ओ प्रदेश के , ओ शहर के का हालत रथे ओला मोर मुंगेरीलाल के दिमाग माँ एक अलग किसम ले बरनन करे के बिचार उमडीस. मोला सुरता आथे जब मैं पहिली दूसरी माँ पढ़त रेहेंव त बिहिनिया बिहिनिया ले चन्दन चोवा लगाए बसदेव मन हाथ माँ रिंग बरोबर झुनझुना ला हलावत अउ अइसने गावत "एही रे बेटा सरवन आय...... जय गंग घर दुआरी मा मांगे बर आवै. सोचथौं के आज चुनाव मा खड़े जन प्रतिनिधि मन दुआरी मा खड़े हे, बसदेव के जघा मा अउ शुरू होगे हे ....
आवौं मैं फलाना पार्टी के उम्मीदवार
मिलही वोट मोहिच ला तोर
उम्मीद ले के
आये हौं तोर द्वार .........जय गंग
बने जाड परत हे बेटा, कम्बल देहों
कुकरी देहों सोम रस के भरे भण्डार .... जय गंग
अतका कही के रेंग दिस
दूसर दिन हमर एक बाबाजी आइस
ओहू चालू होगे
कखरो बात मा तै झन आबे या
गाँव के एक झन मनखे हा
गाँव के एक झन मनखे हा
दारू के चक्कर मा अपन मेहरिया के
हाथ पाँव काट के कर दिस ओ बिचारी
के बेडा पार ........ जय गंग
का जमाना आ गे हे सोचे ला परही
कब तक चलही अइसने
1 टिप्पणी:
जय गंगा भईया जय गंगा.
एक टिप्पणी भेजें