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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

"गरीबी" रह जाती है बनके हमेशा नेताओं की "मसखरी"

"गरीबी" रह जाती है बनके हमेशा नेताओं की "मसखरी" 
(१)
आज की विकराल समस्या
मँहगाई, बेरोजगारी भूखमरी
इनके तले दबी "गरीबी" 
रह जाती है बनके हमेशा नेताओं की "मसखरी" 
(२)
कुदरत ने भेजा है हमें
बाकायदा दिलो दिमाग़ के साथ
कुछ कर गुजरने की हो तमन्ना
 बैठ न  सकेगा फ़ालतू, धरके अपने हाथ पे हाथ
 (३)
 न कर पाया हासिल तालीम ऊंची
फिक्र की कोई बात नहीं
  उगता है सूरज, खिलती है चांदनी,
लावे अमावस का अँधेरा,  जीवन में हर रात नहीं
(४)
पांचवी पास एक आदमी, हुनर है ' काष्ठ-कारी'  का 
दे रहा रोजगार औरों को, काम है ठेकेदारी का
जरूरत है जज्बे की दिल में,  हो जायेंगी सब समस्या दूर  
मन के उमड़ते घुमड़ते इन विचारों पे गौर फरमाइयेगा जरूर.  
जय जोहार.............

5 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

पांचवी पास एक आदमी, हुनर है'काष्ठ-कारी'का
दे रहा रोजगार औरों को, काम है ठेकेदारी का

काम करने का जज्बा होना चाहिए। मेरे यहां एक बढई था जो एक भी क्लास नहीं पढा था। लेकिन नाप जोख के लिए उसने अपने कोडवर्ड बना रखे थे।
जिससे उसका काम चल जाता था।

honesty project democracy ने कहा…

बहुत ही सुन्दर विचार आज गरीबों का सहारा सिर्फ उनका हौसला ही है...बांकी सारी बातें बकबास और इस देश की सरकार भी बकबास.

निर्मला कपिला ने कहा…

पांचवी पास एक आदमी, हुनर है ' काष्ठ-कारी' का
दे रहा रोजगार औरों को, काम है ठेकेदारी का
मन आक्रोश से भर उठता है व्यवस्था का ये रूप देख कर। अच्छी लगी आप की रचना बधाई।

mridula pradhan ने कहा…

prerit karnewali sunder rachna.

रंजना ने कहा…

जज्बा ही है कि एक चींटी भी अपने से तीन गुना भारी वजन उठा कर मीलों चल लेती है...

बहुत ही सुन्दर बात कही आपने इस रचना के माध्यम से..