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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

ब्लागरों का सीरियल ब्लास्ट

ऊपर लिखे शीर्षक के अंतर्गत विचार प्रस्तुत किये जा रहे हैं. मैं भी सोचा कुछ अपने विचार भी क्यों  ना  रखूँ . अंतरजाल की महिमा बड़ी अद्भुत है. दूर सुदूर बैठे लोगों से भी मेल-जोल का अवसर प्रदान करता है बशर्ते अपन इसे सकारात्मक ढंग से बढ़ाते चलें.  बहुत ही बढ़िया माध्यम है अपनी छिपी प्रतिभा को उभारने का और यदि इस विधा में पारंगत लोगों का आशीर्वाद मिल जाए और सहयोग भी तो बात ही क्या है. अभी मीडिया जिसमे समाचार पत्र भी शामिल है; वैश्विक जलवायु परिवर्तन जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा गया है जादा तवज्जो दे रहा है, देना भी चाहिए. इस सन्दर्भ में हम सभी ब्लागरों को भी अपने अपने सुझाव प्रस्तुत करने चाहिए.  केवल सुझाव देने से काम नहीं चलेगा उस पर अमल करने के लिए भी जनता को प्रेरित करना होगा.  मसलन आज बढती औद्योगिक इकाइयां  केवल धनोपार्जन को प्राथमिकता देते हुए सुरक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जरा लापरवाह नजर आती हैं. इसके लिए जनता को ही लड़ना होगा.  इसके लिए प्रदूषण नियंत्रक यंत्र  प्रत्येक कारखानों में लगाये जाने की अनिवार्यता तो शासन सुनिश्चित करती है पर क्या सभी इसका अनुपालन करते हैं. इसी प्रकार से पर्यावरण की हालत की तो बात ही न करें. जगह जगह जंगल की कटाई. वजह आज बड़ी बड़ी कॉलोनियां बनानी हैं.जादा से जादा उद्योग धंधे स्थापित किये जाने हैं. भाई रोजगार उपलब्धता की दृष्टि से तो ठीक है साथ ही इसके कुप्रभावों पर भी ध्यान देते हुए आवश्यक कदम उठाने होंगे. वैसे तो मैं प्रायः अपनी क्षेत्रीय बोली में लिखते रहता हूँ. आज सोचा थोडा हट के लिखा जाए. मुझे प्रेरणा प्रदान करने वाले सर्व श्री ललित तिवारीजी, संजीव भाई, शरद कोकस भाई साहब, पाबला जी, राजकुमार जी, अईयर साहब,  समस्त ब्लॉगर बंधुओं का हार्दिक आभारी हूँ और सबसे बड़ी बात दिनांक ०६.१२.२००९ को खबर पाते ही ब्लॉगर श्री अनिल पुसदकर जी का मीटिंग में शरीक होने समय निकालकर पहुंचना  इस मीटिंग को यादगार बना गया. सधन्यवाद! व जय जोहार के साथ

7 टिप्‍पणियां:

36solutions ने कहा…

लेखन को इसी तरह निरंतर रखे भईया.


ग्‍लोबल वार्मिंग पर चिंतन के अतिरिक्‍त अमल भी आवश्‍यक है सत्‍य कह रहे हैं आप.

Udan Tashtari ने कहा…

जय जोहार -अवागत है इस बेहतरीन सार्थक आलेख के साथ.


विचारणीय विषय है.

राजीव तनेजा ने कहा…

बढिया आलेख

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

तोरो ब्लास्ट जोर दार हवे, तनि देख के, कांही कुछु ला उडा झन देबे, अऊ मोर ले आघु संजीव तिवारी के टिपनी हवे तेखरे ले महु हां सहमत हंव, जोहार ले,

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

सूर्यकांत जी अमल कोई नहीं करेगा

पुलिस विभाग भी इसकी आड़ में

अपनी ही जेब हर बार भरेगा।

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

पुलिसिया पोशाक पे ना जाएँ..खैर आपके द्वारा लिखे कडवे सच से सभी वाकिफ हैं. तभी तो जनता जनार्दन को एकजुट होकर कदम उठाने की बात लिखी गयीहै.

शरद कोकास ने कहा…

jaya johaar फोतो नही मिलीस का ?